बिहार में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है, खासकर नेपाल की सीमा से लगे जिलों में। कोसी, गंडक और बागमती जैसी प्रमुख नदियाँ उफान पर हैं, जिसके चलते राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की छह टीमों को राज्य के बाहर से बुलाया गया है। सोशल मीडिया पर आए वीडियो में यह स्पष्ट है कि प्रभावित जिलों में स्कूलों और बिजली ग्रिडों में पानी भर गया है। वर्तमान में, 12 एनडीआरएफ टीमें और 22 राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) टीमें बिहार के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ राहत और बचाव कार्यों में सक्रिय रूप से लगी हुई हैं।
रविवार को 24 घंटे में छह बैराज टूटने से बाढ़ की स्थिति और बिगड़ गई। कोसी, गंडक और बागमती जैसी नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे भारत-नेपाल सीमा के पास के जिले गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। नेपाल में लगातार हो रही बारिश की कमी के कारण, सोमवार को बैराजों से पानी का डिस्चार्ज कम कर दिया गया।
सीतामढ़ी जिला : बागमती नदी का तटबंध रविवार शाम को कम से कम चार स्थानों पर टूट गया, जिससे किनारे रहने वाले हजारों लोग प्रभावित हुए।
पश्चिम चंपारण और शिवहर : यहाँ भी तटबंध टूटने की घटनाएं हुई हैं। पश्चिम चंपारण में गंडक नदी टूटने से बाढ़ का पानी वाल्मिकी टाइगर रिजर्व में पहुँच गया है।
किरतपुर प्रखंड : उफनती कोसी नदी ने तटबंध तोड़ दिए, जिससे किरतपुर और घनश्यामपुर के एक दर्जन से अधिक गांव प्रभावित हुए हैं।
बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सोमवार को कहा कि घबराने की बात नहीं है। उन्होंने स्थिति को नियंत्रण में बताते हुए कहा कि जल संसाधन विभाग और राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। अब तक राज्य के विभिन्न हिस्सों से तटबंधों में दरार की कुल छह घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें से कुछ की मरम्मत पहले ही की जा चुकी है।
राज्य के बाढ़ से प्रभावित जिलों में शामिल हैं:
पश्चिमी और पूर्वी चंपारण
सीतामढ़ी
शिवहर
मुजफ्फरपुर
गोपालगंज
सीवान
सारण
वैशाली
पटना
जहानाबाद
मधुबनी
अररिया
पूर्णिया
कटिहार
भोजपुर
बिहार में बाढ़ की स्थिति चिंताजनक है, लेकिन राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन एजेंसियाँ राहत कार्यों में जुटी हैं। प्रभावित लोगों की सहायता के लिए तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं।