नई दिल्ली (नेशनल थॉटस) : केंद्र सरकार लगातार मोटे अनाज के उपयोग और उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। इस साल के बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मिलेट्स यानी मोटे अनाज को श्री अन्न नाम दिया। इसी कड़ी में अब भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य सुरक्षा और मानक दूसरे संशोधन विनियम 2023 के अंतर्गत मोटे अनाज के लिये समग्र समूह मानक तय किये हैं। यह मानक इस वर्ष पहली सितंबर से लागू होंगे।
15 किस्म के मोटे अनाज के समूह का समग्र मानक तय
वर्तमान में केवल कुछ मोटे अनाज के निजी मानक जैसे कि ज्वार, बाजरा और रागी का मिश्रण किया जाता है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने 15 किस्म के मोटे अनाज के समूह का समग्र मानक अब तय किया है। इसमें स्वदेशी और वैश्विक बाजार में अच्छी गुणवत्ता के मोटे अनाज की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आठ गुणवत्ता मानदंड तय किये गये हैं। समूह का मानक कुटटू, कोडो, कुटकी, कोराले और ऐडले पर लागू होगा।
2023 है अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया था। पीएम मोदी भी चाहते हैं कि भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का वैश्विक केंद्र बने और अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 को ‘जन आंदोलन’ का रूप दिया जाए। हमारे देश में एशिया का लगभग 80 प्रतिशत और विश्व का 20 प्रतिशत मोटा अनाज पैदा होता है। इस कारण से मोटे अनाज को लोकप्रिय बनाने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है। दिल्ली में सांसदों के लिए लंच का आयोजन हो, G20 की बैठक हो या सरकारी दफ्तरों की कैन्टीन, सभी में मोटे अनाज से तैयार व्यंजनों को प्रमुखता से परोसा जा रहा है।
मोटा अनाज किसे कहते हैं ?
मोटा अनाज छोटे अनाज के सीरियल फूड का समूह है जो कि सूखे और अन्य जटिल मौसम की स्थितियों में अधिक सहनीय होते हैं। इसकी खेती के लिये कम रासायनिक तत्व जैसे कि उर्वरक और कीटनाशक की आवश्यकता होती है। अधिकांश मोटा अनाज भारतीय है। सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान मोटा अनाज या श्री अन्न की खपत को लेकर कई साक्ष्य बताते हैं कि यह भारत में पैदा की जाने वाली पहली फसलों में से एक थी। इसे गरीबों का अनाज भी कहा जाता है। मोटे अनाज में ज्वार, बाजरा, रागी,सांवा या सामा, कंगनी, कोदो, कुटकी और कुट्टू शामिल हैं।