नई दिल्ली,(नेशनल थॉट्स ) – गोवर्धन पूजा, हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर अपने भक्तों के लिए छाया देने की लीला की थी। इस घटना के पीछे का संदेश है कि भगवान कृष्ण हमें प्राकृतिक पर्यावरण का सहारा लेने की महत्वपूर्ण आवश्यकता है और हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा करनी चाहिए।
इस दिन, गोवर्धन पूजा का आयोजन गोवर्धन पर्वत के प्रति भक्तों के द्वारा किया जाता है। पर्वत की प्रतिष्ठा और भक्ति के साथ, भक्त इस पर्व के दिन गोवर्धन पर्वत की प्रतिष्ठा और भक्ति करते हैं। वे पर्वत के चारों ओर पूजा करते हैं और उसे फूलों, चावल, दही, घी आदि से सजाते हैं। इसके बाद, वे प्रसाद के रूप में खाने के लिए बाँटते हैं।
गोवर्धन पूजा का महत्व:
सनातन धर्म में इस त्योहार का बेहद धार्मिक महत्व है। इस दिन भक्त भगवान श्री कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गौ माता की पूजा करते हैं। गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण को समर्पित है। कहा जाता है कि इस दिन, भक्तों को गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पसंदीदा गायों की पूजा करने पर भगवान कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है।
हिंदू पौराणिक कथाओं अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र देवता के प्रकोप से वृन्दावन के लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था, जिसके बाद से लोगों ने इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा के साथ-साथ भगवान कृष्ण की पूजा आरंभ कर दी। साथ ही कान्हा को ‘गोवर्धनधारी’ और ‘गिरिरधारी’ नाम से संबोधित किया गया।