हिंदू धर्म में दिवाली का त्योहार 5 दिनों तक बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और समापन भाई दूज पर होता है। दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है, जब भगवान गोवर्धननाथ, गाय और बछड़ों की पूजा की जाती है। इसे अन्नकूट भी कहा जाता है। गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण से जुड़ी है। आइए जानते हैं गोवर्धन पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।
इस साल दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा, लेकिन तिथि के अनुसार गोवर्धन पूजा 01 नवंबर को भी होगी। इस साल प्रतिपदा तिथि शाम 06:16 बजे से शुरू होकर, उदय तिथि के अनुसार गोवर्धन पूजा 02 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 01 नवंबर 2024 को शाम 06:16 बजे शुरू होगी और अगले दिन रात 08:21 बजे समाप्त होगी।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त:
सुबह: 06:33 से 08:46 बजे तक
अवधि: 2 घंटे 12 मिनट
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था। इंद्र के प्रकोप से ब्रज में जलभराव हो गया था, और भगवान कृष्ण के कहने पर सभी ने गोवर्धन पर्वत की शरण ली। गोवर्धननाथ ने 7 दिनों तक उनकी रक्षा की। तभी से इस दिन गोबर से भगवान कृष्ण, गाय, बछड़े और गोवर्धन पर्वत की मूर्तियां बनाकर पंचोपचार से पूजा की जाती है।
गोवर्धन पूजा के लिए सबसे पहले घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाया जाता है। इसके बाद भगवान गोवर्धन की पूजा की जाती है, जिसमें अक्षत, रोली, जल, दूध, बताशा, पान और केसर के फूल का इस्तेमाल किया जाता है। गोवर्धन के चित्र के पास दीपक जलाकर भगवान को याद किया जाता है। मान्यता है कि विधि-विधान से भगवान गोवर्धन की पूजा करने पर श्री कृष्ण अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।
जब ब्रजवासियों पर भगवान इंद्र का प्रकोप बढ़ गया, तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर उनकी रक्षा की। इंद्र के अभिमान को चूर करने के लिए भगवान ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की। तब से हर साल इस दिन लोग अपने घरों में गोवर्धन बनाते हैं।