महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपनी राजनीतिक ताकत और जनाधार को मजबूत करते हुए खुद को एक बड़ा मराठा नेता साबित किया है। हालिया विधानसभा चुनावों में उन्होंने शरद पवार की भावुक अपीलों और कड़ी रणनीतियों के बावजूद बड़ी सफलता हासिल की।
चाचा-भतीजे की राजनीतिक टक्कर
पिछले एक साल में अजित पवार ने न केवल एनसीपी पर नियंत्रण कर लिया, बल्कि सर्वाधिक विधायक भी जीताए। छठी बार उपमुख्यमंत्री बनकर उन्होंने रिकॉर्ड बनाया। साथ ही अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को लोकसभा में न भेज पाने के बावजूद राज्यसभा में जगह दिलाई।
भाजपा ने भी अजित पवार के साथ मिलकर सीनियर पवार की राजनीतिक पकड़ को कमजोर करने में सफलता पाई। अजित पवार ने मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस का खुलकर समर्थन कर भाजपा नेतृत्व को खुश किया।
आयकर विभाग का फैसला और नया सरकारी आवास
2021 में जब्त की गई 1,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की संपत्तियों के मामले में अजित पवार को आयकर विभाग से राहत मिली। इस बीच, उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार को दिल्ली में शरद पवार के घर के सामने 11 जनपथ पर टाइप-VII बंगला आवंटित किया गया।
यह आवंटन राजनीतिक हलकों में अजित पवार की बढ़ती ताकत के रूप में देखा जा रहा है। यह तथ्य भी महत्वपूर्ण है कि सुनेत्रा पवार पहली बार सांसद बनी हैं और इतनी बड़ी श्रेणी के आवास की हकदार नहीं थीं।
मराठा क्षेत्र में मजबूत पकड़
अजित पवार की एनसीपी ने महाराष्ट्र चुनाव में 49 सीटें हासिल कीं, जिससे उनकी मराठवाड़ा क्षेत्र में स्थिति और मजबूत हुई। सुनेत्रा पवार को राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुना गया, हालांकि बारामती सीट पर वह सुप्रिया सुले से चुनाव हार गई थीं।
पवार परिवार की एकजुटता
राजनीतिक खींचतान के बावजूद, पवार परिवार खास मौकों पर एकजुटता दिखाने की कोशिश करता है। शरद पवार के जन्मदिन पर अजित पवार अपनी पत्नी सुनेत्रा और सहयोगियों के साथ उन्हें बधाई देने पहुंचे। यह राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बीच परिवार के अंदर संतुलन बनाए रखने का संकेत देता है।
अजित पवार का यह उभार महाराष्ट्र की राजनीति में नई दिशा और समीकरण की ओर इशारा करता है। उनके भाजपा से नजदीकी संबंध और एनसीपी में नियंत्रण ने उन्हें चाचा शरद पवार के मुकाबले एक बड़ी राजनीतिक ताकत बना दिया है।