सरकार चार साल की देरी के बाद 2025 में जनगणना शुरू करने जा रही है। सूत्रों के अनुसार, यह प्रक्रिया 2025 में शुरू होगी और 2026 तक जारी रहने की उम्मीद है। जनगणना के बाद लोकसभा सीटों का परिसीमन शुरू होगा, जो 2028 तक पूरा होने की संभावना है।
यह घटनाक्रम कई विपक्षी दलों द्वारा जाति जनगणना की मांग के बीच आया है। हालांकि, सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है और जनगणना प्रक्रिया का विवरण अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। भारत में पिछली बार जनगणना 2011 में हुई थी। अगला चरण 2021 में शुरू होना था, लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण इसमें देरी हो गई।
सर्वेक्षण करने वाले हर व्यक्ति को अपना नाम, विवरण और पारिवारिक जानकारी देने के लिए कहा जाएगा। फॉर्म में धर्म का विवरण दर्ज करने का विकल्प होगा, और सर्वेक्षक अपने धर्म के तहत अपने संप्रदाय का उल्लेख कर सकेंगे।
कांग्रेस, आरजेडी और कई अन्य पार्टियां जाति जनगणना की मांग कर रही हैं। बिहार में जेडीयू जैसे बीजेपी के गठबंधन सहयोगियों ने भी इस बारे में बात की है, लेकिन केंद्रीय स्तर पर कोई दबाव नहीं डाला गया है। अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट पर छोड़ दिया गया है।
तेलुगु देशम पार्टी भी मानती है कि जनगणना होनी चाहिए, और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आम जनता, खासकर युवा आबादी के लाभ के लिए ‘कौशल जनगणना’ की सक्रिय रूप से वकालत की है। आरएसएस भी जाति जनगणना के पक्ष में है, बशर्ते कि यह किसी पार्टी द्वारा राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए न किया जा रहा हो।
इस प्रकार, भारत में अगले वर्ष होने वाली जनगणना महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों का केंद्र बन गई है।