1988 में लोगों के लिए बंदूक लाइसेंस देना किया गया था बंद :
1988 में बड़े पैमाने पर असफल लोकतंत्र समर्थक विद्रोह के बाद सेना ने नागरिकों के लिए बंदूक लाइसेंस रद्द कर दिया था। लोग नई नीति के तहत 9 एमएम पिस्टल और .38 कैलिबर समेत शॉटगन एवं एयर गन के हथियारों के लिए लाइसेंस ले सकते हैं।
देश में बिगड़े आर्थिक हालात :
म्यांमार की सेना ने एक फरवरी 2021 को नई सरकार बनाने जा रहे निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को हिरासत में लेकर सत्ता पर कब्जा जमा लिया था। उसके बाद से गंभीर होती गई आर्थिक स्थितियों के बीच देश के लोगों को असाधारण महंगाई और जरूरी चीजों के अभाव का सामना करना पड़ा है। इस बीच कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना कारोबार समेट कर म्यांमार से बाहर चली गई हैं। रिसर्च संस्था टोरिनो वर्ल्ड अफेयर्स इंस्टीट्यूट की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2021 से दिसंबर 2022 के बीच 28 बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने या तो देश में अपना कारोबार पूरी तरह बंद कर दिया या उसे स्थगित कर रखा है।
400 कंपनियां चल रही थी कारोबार :
तख्ता पलट के पहले जापान की लगभग 400 कंपनियां म्यांमार में कारोबार चला रही थीं। भारत के भी म्यांमार से गहरे कारोबारी और अन्य संबंध रहे हैं। एशिया टाइम्स में छपे विश्लेषण में ध्यान दिलाया गया है कि भारत ने कुछ समय पहले म्यांमार में चुनाव कराने की हुई घोषणा का स्वागत किया था। लेकिन अब अगर सैनिक शासकों ने अपना यह वादा नहीं निभाया, तो चुनाव की उम्मीद लगाए सभी पक्षों को निराशा होगी। इससे म्यांमार की अंदरूनी स्थिति और बदतर हो जाएगी।