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“हरियाणा निकाय चुनाव: कांग्रेस पस्त, अंबाला से करनाल तक भाजपा का परचम लहराया”

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हरियाणा में विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद, भाजपा ने नगर निकाय चुनावों में भी अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। राज्य की 10 नगर निगमों में से 9 में भाजपा के मेयर उम्मीदवार आगे रहे, जिनमें कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले रोहतक का नाम भी शामिल है।

कांग्रेस का नहीं खुला खाता

पहली बार अपने चुनाव चिह्न पर निकाय चुनाव लड़ रही कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा ने अंबाला, गुरुग्राम, सोनीपत, रोहतक और करनाल में महापौर पद पर जीत दर्ज की, जबकि फरीदाबाद, पानीपत, हिसार और यमुनानगर में भी आगे रही। मानेसर में निर्दलीय उम्मीदवार इंद्रजीत यादव ने भाजपा के सुंदर लाल को हराकर जीत हासिल की।

महत्वपूर्ण सीटों पर भाजपा की जीत

अंबाला: भाजपा की शैलजा सचदेवा ने कांग्रेस की अमीषा चावला को 20,487 वोटों से हराकर महापौर पद जीता।

गुरुग्राम: भाजपा की राज रानी ने महापौर पद पर जीत दर्ज की।

सोनीपत: भाजपा के वरिष्ठ नेता राजीव जैन ने कांग्रेस की कोमल दीवान को हराया।

करनाल: भाजपा की रेणु बाला गुप्ता ने कांग्रेस के मनोज वाधवा को शिकस्त दी।

रोहतक: कांग्रेस के गढ़ में भाजपा के राम अवतार ने कांग्रेस के सूरजमल किलोई को हराकर बड़ी जीत दर्ज की।

रोहतक में कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ रोहतक में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा। 2024 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने रोहतक और झज्जर जिलों की आठ में से सात सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन निकाय चुनावों में भाजपा ने यहां जीत हासिल कर कांग्रेस को कमजोर कर दिया।

हुड्डा का बयान: ‘हम पर कोई असर नहीं’

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस हार को हल्के में लेते हुए कहा कि नगर निकाय चुनावों के नतीजों से कांग्रेस पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, “पहले भी नगर निगमों में भाजपा का दबदबा रहा है। अगर हमने कोई सीट गंवाई होती तो यह झटका होता, लेकिन ये सीटें पहले से ही हमारे पास नहीं थीं।”

अन्य क्षेत्रीय दलों का कमजोर प्रदर्शन

2 मार्च को हुए इन चुनावों में इनेलो, आम आदमी पार्टी (AAP) और जेजेपी जैसी क्षेत्रीय पार्टियों की उपस्थिति नगण्य रही। विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद इन दलों का असर निकाय चुनावों में भी दिखाई दिया।

भाजपा का प्रभाव बरकरार

गुरुग्राम जैसे शहरी क्षेत्रों में भाजपा के मजबूत प्रदर्शन ने यह साफ कर दिया कि 10 साल के शासन के बावजूद हरियाणा की राजनीति में उसका दबदबा बरकरार है।

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