नई दिल्ली – हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यरत सर्वश्रेष्ठ संगठन अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति की ओर से आयोजित संगोष्ठी ‘‘हिन्दी कैसे बने विश्व की भाषा और साहित्यकार सम्मान समारोह आयोजि कियागया। इस मौके पर में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए भारत सरकार की संसदीय राजभाषा समिति के संयोजक और राज्यसभा सांसद रामचन्द्र जांगड़ा ने कहा हिन्दी प्राचीन समय से ही वैश्वनिक भाषा है इसमें बहुत से पर्यायवाची शब्द है।
हर शब्द का मतलब है जबकि अंग्रेजी में ऐसा नहीं है लेकिन हमने अंग्रेजी को ही सर्वोच्च भाषा मान लिया है और अंग्रेजी बोलने वाले को उत्तम दृष्टि से देखा जाता है उसे अधिक सम्मान दिया जाता है। श्री जांगड़ा ने कहा अंग्रेजों ने शिक्षा नीति से हमारी भाषा और संस्कार हटा दिए और भाषा जाने से हम मानसिक रूप से गुलाम हो गए। संस्कार जाने से हमारी परिवार और राष्ट्र के प्रति निष्ठा चली गई। अग्निवीर योजना को बिना समझे युवाओं ने करोड़ों रूपये की संपत्ति नष्ट कर दी।
प्रधानमंत्री ने हिन्दी को विश्व में नए कीर्तिमान के रूप में स्थापित किया है : जगदीश मित्तल
राष्ट्रीय कवि संगम के संस्थापक जगदीश मित्तल ने कहा आज हम भाषा के महत्व को भूल चुके है और अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में भेज रहे है जबकि देश में चिकित्सा विज्ञान, अभियांत्रिकी और सूचना प्रौद्योगिकी की शिक्षा भी हिन्दी में प्रारंभ हो चुकी है। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिन्दी को विश्व में नए कीर्तिमान के रूप में स्थापित कर दिया है और विश्व भर के लोग इस बात को भलीभांति समझने लगे है कि यदि भारत से व्यापार करना है तो हिन्दी सीखनी होगी।
अपनी संस्कृति लौट कर ही हम हिन्दी के प्रति अपनी सोच बदल सकते है : डा.बी.एल गौड़
प्रख्यात हिन्दी साहित्यकार और उत्तर प्रदेश सरकार से साहित्य भूषण प्राप्त डा.बी.एल गौड़ ने कहा हिन्दी की गहराइयों को समझने की आवश्यकता है। हिन्दी के वैज्ञानिक आधार को समझने की आवश्यकता है। अपनी संस्कृति और संस्कारो में लौट कर ही हम हिन्दी के प्रति अपनी सोच बदल सकते है। अंगेजी को किसी राष्ट्र ने श्रेष्ठ नहीं माना जैसे रूस, चीन, जर्मनी, फ्रांस वे अपनी भाषा प्रयोग करके सबसे आगे है। हम अंग्रेजी के माध्यम से आगे बढ़ना चाहते है।
ब्रिटेन से पधारी काव्यरंग की अध्यक्षा श्रीमती जया वर्मा ने बताया उन्हें हिन्दी बोलने वाले विश्व के हर कोने में मिल जाते है। लेकिन अपने घर में ही अंग्रेजी भूतों की भरमार है। वे अपने बच्चों को हिन्दी की अपेक्षा अंग्रेजी में बोलने के लिए प्रोत्साहित करते है। संगोष्ठी की अध्यक्षता कई विश्व विद्यालयों के पूर्व कुलपति डा- प्रेमचंद पतांजलि ने की।
हिन्दी को पेट की भाषा बनाने के लिए कार्यरत है हमारी संस्था के : डा.प्रवीन गुप्ता ने
संस्था के महासचिव डा- प्रवीन गुप्ता ने कहा संस्था हिन्दी को पेट की भाषा बनाने के लिए कार्यरत है। साथ ही अदालतों में हिन्दी को लागू कराने के लिए तत्पर है। हिन्दी संयुक्त राष्ट्र की भाषा जरूर बनेगी शुरूआत हो चुकी है। हिन्दी भाषी कार्यक्रम, समाचार, विज्ञप्तियां संयुक्त राष्ट्र में प्रारंभ हो चुके है। अंग्रेजी सिस्टम को खत्म करने के लिए हिन्दी अधिकारियों और राजभाषा निदेशकों को संयुक्त सचिव स्तर का दर्जा देना होगा। दक्षिण भारत की भाषाओं को भी आगे बढ़ाना होगा ताकि वे भी सुगमता से हिन्दी का प्रयोग करे।
सरकार ने चिकित्सा विज्ञान अर्थात MBBS को हिन्दी में शुरू कर दिया है। शीघ्र्र ही कई राज्य इसे लागू करेंगे। नराकास में साहित्यकारों को सरकार को रखना होगा। हमने 12वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के लिए भी सरकार को सुझाव भेजे कि वह हिन्दी प्रेमियों को फीजी के स्थानीय निवासियों के घर ठहराए। सम्मेलन मे फीजी की वेषभूषा, खान-पान, संस्कृति को भी दर्शाया जाए। फीजी में लघु हिन्दी सचिवालय खोला जाए। साहित्यकारों को पूरे विश्व से भेजा जाए निःशुल्क वीजा दिया जाए।