होली हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है, जो भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद के अद्भुत कथा को याद करता है। होली से पहले होलिका दहन मनाया जाता है, जो इस वर्ष 24 मार्च को होगा। इस दिन को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानते हैं। आइए, जानें कि होलिका दहन के दिन पूजा कैसे की जाती है और इसका महत्व।
पूर्णिमा तिथि: इस वर्ष, फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को है। यह तिथि 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी।
होलिका दहन 2024: होलिका दहन का शुभ समय रात 11:13 बजे से लेकर 12:27 बजे तक है। इस समय आपको कुल 1 घंटा 14 मिनट का समय मिलेगा।
पूजा विधि: होलिका दहन की पूजा में, आपको निम्नलिखित चीजें आवश्यक होती हैं:
- पूजा थाली: पूजा की थाली में अक्षत, धूप, गुड़, कच्चा सूत, फूल, रोली, माला, पंचमेवा, और नारियल रखें।
- कच्चा सूत: होलिका के चारों ओर 7 से 11 बार कच्चे सूत का धागा लपेटें।
- आहुति: होलिका दहन के बाद सभी सामग्री को होलिका में आहुति दें।
- भूनी गेहूं: होलिका दहन के समय गेहूं की बालियां भी भूनी जाती हैं, जिससे धन में वृद्धि हो।
- अर्घ्य: अर्घ्य देकर पूजा को समाप्त करें।
- प्रसाद: पूजा के बाद पांच फलों और चीनी से बने खिलौने आदि का प्रसाद चढ़ाएं।
आखिरी बातें: होलिका दहन के समय लोग चिता के चारों ओर नाचते-गाते हैं और इस खास मोके का आनंद लेते हैं। इस तरह, होलिका दहन के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है।