ब्रेन हमारे लेफ्ट के प्रिफ्रंटल कॉर्टेक्स में हैप्पीनेस कंट्रोल होता है। अगर यह हिस्सा एक्टिव है तो आपको हैप्पीनेस की फीलिंग होगी। उसी तरह राइट ब्रेन के प्री फ्रंटल कॉर्टेक्स में नेगेटिव मूड्स होते हैं। अगर यह इससे ज्यादा एक्टिव हो गया तो व्यक्ति हमेशा नेगेटिव विचारों में फंसा रह जाता है।
जब लेफ्ट पार्ट फ्री फ्रंटल कॉर्टेक्स ब्रेन का एक्टिव होगा तो व्यक्ति में खुशी की भावना होगी और नकारात्मक भावनाएं और विचारकमहोंगे। . इस हिस्से को एक्टिवेट करने के लिए दो तरीके होते हैं।
》पहला होता है फ्लो स्टेट में काम करना। दूसरा होता है मेडिटेशन। जब व्यक्ति कोई काम इस तरह से करता कि पूरी तरह उसमें डूब जाता है तो उसका ब्रेन एक खास फ्लो स्टेट में चला जाता है।
इसमें उसे आंतरिक खुशी मिलती है। हमारे ग्रंथों में ऐसे कर्म योग की संज्ञा दी गई है। इसमें व्यक्ति का पूरा ध्यान काम करने के प्रोसेस पर होता है उसके रिजल्ट पर नहीं होता है।
काम सिर्फ इसलिए करता है क्योंकि उसे इसे करने से खुशी मिलती है।
》दूसरी प्रक्रिया ध्यान कहलाती है। ध्यान की अवस्था में हमारा यह हिस्सा लेफ्ट फ्री फ्रंटल कोरटेक्स एक्टिवेट होता है तो आनंद मिलता है.
• निरोग हेल्थ केयर
“आरोग्य सेवक और मित्र “
मुकेश बाबू गुप्ता
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