जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद इस केंद्र शासित प्रदेश में शांति और समृद्धि का माहौल बना है। विकास की नई बयार के साथ कश्मीर में पर्यटन के रिकॉर्ड टूट गए हैं, देशी-विदेशी निवेश के बढ़ने से रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। कई दशकों बाद सिनेमाघर फिर से खुले हैं, और फिल्म शूटिंग का सिलसिला भी शुरू हो गया है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन होने लगा है, खेल महाकुंभों, रोजगार मेलों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और व्यापार मेलों ने प्रदेश का परिदृश्य बदल दिया है। अब युवा हाथ में किताब और लैपटॉप लेकर आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन यह बदलाव कुछ राजनीतिक परिवारों को नहीं भा रहा।
अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद, आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने वाले दलों ने नई रणनीति बनाई है। हिज्बुल्ला चीफ हसन नसरल्ला की मौत के बाद कश्मीर में प्रदर्शन हुए, जबकि पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने चुनाव प्रचार से दूरी बना ली। इस प्रकार के प्रदर्शनों पर सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहना होगा ताकि स्थिति बिगड़ न सके।
महबूबा मुफ्ती के शोक मनाने का तरीका बताता है कि उनकी आतंकवाद के प्रति सोच कितनी नरम है। ऐसी सोच के कारण ही जम्मू-कश्मीर दशकों तक आतंकवाद की चपेट में रहा। अब जब हालात बेहतर हो रहे हैं, तो ऐसे नेता जनता की भावनाओं को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं
कश्मीर के कई हिस्सों में हिज्बुल्ला नेता हसन नसरल्ला की हत्या के खिलाफ इजराइल विरोधी प्रदर्शन जारी हैं। अधिकारियों के अनुसार, बडगाम में शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुए, जहां बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। नसरल्ला के मारे जाने की निंदा करते हुए कई नेताओं ने अपने चुनाव अभियानों को स्थगित कर दिया है।
कश्मीर में जारी ये राजनीतिक गतिविधियाँ इस बात का संकेत हैं कि स्थिति अब भी संवेदनशील है। इसलिए, सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहना होगा ताकि शांति और समृद्धि का माहौल बना रहे।