पितृपक्ष में कैसे करें पितरों का तर्पण – कैलाश चन्द मिश्रा
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न्यूज डेस्क : आश्विन मास के कृष्ण पक्ष का आरंभ हो चुका है। इस पितृ पक्ष में (पीजेपीएस) के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश चन्द मिश्रा के द्वारा शुद्ध मन कर्म के साथ पितरों को रोजाना जल देना, तर्पण करता देख कर अपने सनातनी होने पर गर्व होता है।
जल अर्पण करते देख आज यह महसूस हुआ कि आज भी मिश्र जी अपनी संस्कृति से जुड़े हुए हैं। जो कि प्रायः बड़े शहरों में देखा नहीं जाता | क्योंकि बढ़ते हुए शहरीकरण की चकाचौंध भरी जिन्दगी में लोग अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे उससे दूर होते जा रहे हैं।
आज अपने पूर्वजों की याद में पितृ जन को जल देते देख कर उन तमाम लोगों में जागृति आएगी | जो कि बहुत से लोग भूल से गए हैं या अपनी जीवन मे ऐसा कर्म देखा नहीं होगा। इस तर्पण को शास्त्रों में बताया गया है कि इस पक्ष में पितरों का तर्पण और श्राद्ध किया जाना चाहिए।
उसी प्रकार आश्विन कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक को पितृ पक्ष कहा जाता है। लोक मान्यता के अनुसार, और पुराणों में भी बताया गया है कि पितृ पक्ष के दौरान परलोक गए पूर्वजों को पृथ्वी पर अपने परिवार के लोगों से मिलने का अवसर मिलता है और वह पिंडदान, अन्न एवं जल ग्रहण करने की इच्छा से अपनी संतानों के पास रहते हैं।
इन दिनों मिले अन्न, जल से पितरों को बल मिलता है और इसी से वह परलोक के अपने सफर को तय कर पाते हैं। इन्हीं अन्न जल की शक्ति से वह अपने परिवार के सदस्यों का कल्याण कर पाते हैं।
आखिर क्यों और किन्हें दिया जाता है जल तर्पण ?
सबसे पहले अपनी माँ – माता मही, दादी, परदादी, वृद्ध दादी, दादा, पर दादा, वृद्ध दादा, बड़े पिता, बड़ी माँ, नाना, पर नाना, वृद्ध नाना, नानी, पर नानी, वृद्ध नानी, मौसी, ऐसे गुरु जन जो इस पृथ्वी से परलोक को सिधार गए हो | परिवार के ऐसे सभी जिन्हें में नहीं जानता हूँ उन सभी पितरों को जल तर्पण करना चाहिए | जल तर्पण की शक्ति से वह अपने परिवार के सदस्यों का कल्याण कर पाते हैं। इससे परिवार में सुख-शांति, यश और वैभव स्थापित होता है। मिश्र जी सनातन धर्म में प्रेरणा के स्रोत है।