नई दिल्ली (राजेश शर्मा)- दिल्ली सरकार 21 मार्च को अपना आम बजट 2023 पेश करने जा रही है। दिल्ली सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले इस बजट से आम जनता और व्यापारियों को काफी उम्मीदें रहती हैं। हर किसी को जिज्ञासा रहती है कि सरकार बजट में क्या कुछ राहत देगी और किस वस्तु के दाम बढ़ाएगी।
दिल्ली सरकार द्वारा पेश होने वाले बजट से पूर्व नेशनल थॉटस टीम अपने खास कार्यक्रम “ बोल व्यापारी बोल, सरकार अपनी है” के माध्यम से राजौरी गार्डन पहुंची और दिल्ली मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीन गोयल से मुलाकात कर आनेवाले बजट पर चर्चा की।
चर्चा के दौरान प्रवीन गोयल ने दिल्ली के कॉमन बजट पर बात रखी, वहीं दिल्ली सरकार के बजट से मार्बल क्षेत्र को क्या उम्मीदें हैं इस पर बात करते हुए बताया कि सरकारें आम तौर पर स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे मुद्दों पर अधिक ध्यान देती हैं, जबकि सरकारों को सबसे अधिक कमाई का माध्यम व्यापारी वर्ग होता है, जो सरकार चलाने के लिए टैक्स देता है।
कोई भी सरकार बिना टैक्स के नहीं चल सकती। इस लिए सरकार को चाहिए कि वो अपने व्यापारी वर्ग के कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए बदलते ट्रेंड के हिसाब से अपनी योजनाएं बनाएं, योजना बनाने वाली एक्सपर्ट समिति में अधिकारियों के साथ विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करने वाले जानकारों को भी एक्सपर्ट समिति में शामिल करके सरकार व्यापारी वर्ग के कारोबार को आगे बढ़ाने और नए रोजगार सर्जन में अहम भूमिका निभा सकती है।
श्री गोयल का मानना है कि अकेले सरकारों के दम पर सब को रोजगार मिलना कभी संभव नहीं होता, एक छोटे उद्योग में कारोबारी 4 से 8 लोगों को रोजगार दे देता है, इस लिए दिल्ली सरकार को आने वाले बजट में शिक्षा, स्वास्थ के साथ-साथ व्यापारी हितों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न प्रकार के कारोबार के लिए खास जॉन बनाने की पॉलिसी बनाने और विदेशी ट्रेड जॉन के मॉडल को आपने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता। दिल्ली सरकार जीएसटी को सरल बनाने के लिए कदम उठाए।
दिल्ली के मार्बल व्यापारियों के समक्ष एक गंभीर समस्या ये है कि उनके माल की गाड़ियों को दिल्ली में घुसने से पहले विभिन्न राज्यों के बॉर्डरों पर रोक लिया जाता है, ओवरलोडिंग की जांच के लिए कॉमन पॉलिसी बने। जिसमें पत्थर को फुट में मापने की बजाए भार के हिसाब से मापने का प्रावधान हो, ताकि मार्बल व्यापारियों को राहत मिले और वो अपना काम आसानी से कर सकें।
यदि दिल्ली में व्यापार को जिंदा रखना है तो दिल्ली सरकार को अपने व्यापारियों को मूलभूत सुविधाएं देनी होंगी, अन्यथा वो दिन दूर नहीं जब व्यापारी अपने कारोबार को दिल्ली से समेट कर पड़ोसी राज्यों में ले जाने को मजबूर हो जाएंगे।