क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस में भारत ने आमिर देशों को ठहराया जिम्मेदार, सालाना 7 लाख करोड़ की मांग
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एक्सट्रीम वेदर के कारण भारत परेशान
न्यूज डेस्क ( नेशनल थॉट्स ) : एक्सट्रीम वेदर की मार झेल रहे भारत के लोगों का कोई दोष नहीं है | ऐसे हम कुछ तथ्यों के आधार पर कह रहे है | भारत ने जर्मनी के बोन शहर में हुई क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस में इन सबके लिए अमीर देशों को जिम्मेदार ठहराया है और इसके लिए होने वाले खर्च की भरपाई करने को कहा है।
सबसे पहले तीन फैक्ट जान लीजिए…
भारत में हर साल भीषण गर्मी की वजह से 83 हजार लोगों की मौत होती है।
भारत में विकराल ठंड से हर साल 6.50 लाख लोगों की मौत होती है।
आपदा और क्लाइमेट चेंज की वजह से भारत में हर साल 50 लाख लोगों को पलायन करना पड़ता है।
कॉन्फ्रेंस में भारत ने रखा अपना पक्ष
अमेरिकी जैसे अमीर देशों के सामने भारत का स्टैंड है कि ‘आपकी वजह से दुनिया में गर्मी बढ़ी है। बाढ़ और सूखे के लिए भी आप जिम्मेदार हैं। इसलिए अब आपको इसकी भरपाई भी करनी होगी।’ दुनिया के ताकतवर देश क्लाइमेट चेंज का हवाला देकर भारत पर कम कोयला इस्तेमाल के लिए दबाव बनाते रहे हैं |
दुनिया की 10% आबादी 52% कार्बन छोड़ती है
भारत ने कहा कि दुनिया की 10% आबादी 52% कार्बन छोड़ने के लिए जिम्मेदार है। द लैंसेट के मुताबिक अकेले अमेरिका 40% कार्बन छोड़ता है। इन एक्सट्रीम वेदर कंडीशन से निपटने के लिए भारत में हर साल करीब 7 लाख करोड़ रुपए खर्च होते हैं। भारत ने अमीर देशों से इस खर्च की भरपाई की मांग की है।
7.80 लाख करोड़ देने का वादा करके मुकर गए अमीर देश
विकसित देशों ने 2009 की कोपनहेगन समिट में भारत जैसे विकासशील देशों को जुर्माना के तौर पर 2020 तक सालाना 7.80 लाख करोड़ रुपए देने का वादा किया था। इस फंड का इस्तेमाल विकासशील देशों के कार्बन उत्सर्जन को कम करने में किया जाना था, लेकिन विकसित देश अपने वादे से मुकर गए, इसलिए ऐसा नहीं हो सका।