भारत अगले महीने 17 अगस्त के आसपास ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन के तीसरे संस्करण की मेजबानी करेगा। यह शिखर सम्मेलन वर्चुअल मोड में आयोजित होगा, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्री स्तर की बैठकों के साथ करेंगे। वर्तमान में नई दिल्ली निमंत्रण भेज रही है और निमंत्रण प्राप्त होने की पुष्टि विभिन्न वैश्विक राजधानियों के सूत्रों ने की है। अगस्त 2024 में होने वाला यह संस्करण प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल के तहत शिखर सम्मेलन का पहला ऐसा संस्करण होगा।
ग्लोबल साउथ शब्द का प्रयोग एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों के लिए किया जाता है। इसके विपरीत, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, यूरोप, रूस, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे आर्थिक रूप से विकसित देशों को ग्लोबल नॉर्थ कहा जाता है।
ग्लोबल साउथ का तात्पर्य कम आय वाले देशों या अमीर उत्तरी देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम सामाजिक आर्थिक और औद्योगिक विकास वाले देशों से है। ग्लोबल साउथ के देश होने के कई निहितार्थ हो सकते हैं, जिसमें उच्च शिशु मृत्यु दर और निम्न जीवन प्रत्याशा से लेकर निम्न शिक्षा दर, उच्च स्तर की गरीबी और विदेश में बेहतर जीवन की तलाश में प्रवास करने की उच्च प्रवृत्ति शामिल होती है।
आधिकारिक तौर पर ‘ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन’ के रूप में जाना जाता है। शिखर सम्मेलन का पहला संस्करण भारत की G20 अध्यक्षता के वर्ष में जनवरी 2023 में हुआ था। ऐसे में इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी करके भारत ग्लोबल साउथ के देशों को अपने दृष्टिकोण, चुनौतियों और प्राथमिकताओं को साझा करने के लिए एक कॉमन प्लेटफार्म प्रदान करने की योजना बना रहा है। शिखर सम्मेलन का दूसरा संस्करण दिल्ली में सितंबर के महीने में आयोजित जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के बाद नवंबर 2023 में हुआ था।
पहले शिखर सम्मेलन का थीम ‘आवाज़ की एकता, उद्देश्य की एकता’ और दूसरे शिखर सम्मेलन का विषय ‘एक साथ, सभी के विकास के लिए, सभी के विश्वास के साथ’ था। शिखर सम्मेलन में 120 से अधिक देशों की भागीदारी देखी गई है और जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, वैश्विक शासन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। मंत्रिस्तरीय सत्र विदेश मंत्रियों, शिक्षा मंत्रियों, वित्त मंत्रियों, पर्यावरण मंत्रियों, ऊर्जा मंत्रियों, स्वास्थ्य मंत्रियों और वाणिज्य/व्यापार मंत्रियों के स्तर पर हुए।
इनमें पीएम मोदी द्वारा ग्लोबल साउथ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का उद्घाटन करना भी शामिल है, जिसे ‘दक्षिण’ के नाम से जाना जाता है। यह ग्लोबल साउथ देशों के बीच मजबूत सहयोग बनाने के लिए एक इंटरफ़ेस के रूप में काम करेगा। घोषणाओं में ग्लोबल साउथ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इनिशिएटिव का मंच, ग्लोबल साउथ स्कॉलरशिप प्रोग्राम, स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग और ग्लोबल साउथ यंग डिप्लोमैट्स फोरम शामिल हैं।