जम्मू-कश्मीर में आतंक के खिलाफ जारी ऑपरेशन के दौरान नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने भारतीय सेना पर गंभीर आरोप लगाते हुए विवाद खड़ा कर दिया है। फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि देश की सेना दुश्मनों के साथ मिली हुई है। उन्होंने किश्तवाड़ में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दावा किया कि सीमा पार से हो रही घुसपैठ और जम्मू-कश्मीर में नशीले पदार्थों की तस्करी में मिलीभगत है।
अब्दुल्ला ने कहा, “हमारी सीमा पर इतनी सेना तैनात है, जितनी किसी और देश में नहीं है। फिर भी आतंकवादी और नशीले पदार्थ देश में कैसे प्रवेश कर रहे हैं? यह सवाल बेहद महत्वपूर्ण है। हमारे विनाश के लिए एक साजिश रची जा रही है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि “हमने प्रतिष्ठान पर दस वर्षों तक भरोसा किया, लेकिन उन्हें किसी और बात का भरोसा दिलाया गया और किया कुछ और। हमारे शिक्षित बच्चे लाठियों का सामना कर रहे हैं।” उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि “राम मंदिर का निर्माण करने के बावजूद, भाजपा अयोध्या में हार गई, क्योंकि उन्होंने लोगों के घरों को ध्वस्त कर दिया और उनकी जमीनों पर हवाई अड्डे और सड़कें बनाई।”
बयान के विवाद में आने के बाद फारूक अब्दुल्ला ने सफाई दी कि वह सिर्फ इस सवाल का जवाब चाहते हैं कि ड्रग्स और आतंकवादी बड़ी संख्या में देश में कैसे प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि “सीमा सुरक्षा केंद्र सरकार का विषय है और इस पर गृह मंत्री और रक्षा मंत्री को बोलना चाहिए।”
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आरआर स्वैन ने फारूक अब्दुल्ला के इस बयान की कड़ी आलोचना की है। डीजीपी स्वैन ने बयान को निंदनीय बताया, जबकि भाजपा ने अब्दुल्ला के पूर्व के विवादित बयानों को भी याद दिलाया।
वहीं, गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व वाली डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) ने फारूक अब्दुल्ला की टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि “एनसी सुप्रीमो द्वारा लगाए गए आरोप बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं।”