श्रीलंका द्वारा भारतीय मछुआरों के पकड़े जाने की घटना के संबंध में, भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने एक बयान जारी किया। उन्होंने बताया कि पिछले 20 वर्षों में लगभग 6184 भारतीय मछुआरों को श्रीलंका द्वारा हिरासत में लिया गया है, साथ ही 1175 भारतीय मछली पकड़ने वाली नौकाओं को भी श्रीलंका द्वारा जब्त किया गया है।
उन्होंने संसद में इस मुद्दे को उठाया और बताया कि पिछले पांच वर्षों में इसे बार-बार संसद में विभिन्न दलों ने उठाया है। जयशंकर ने कहा कि तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ने उन्हें कई बार पत्र लिखा है, लेकिन उन्होंने इस मुद्दे पर 21 बार जवाब दे चुके हैं। इसे एक जीवंत मुद्दा माना जा रहा है जिस पर संसद और राज्य हलकों में बहुत बहस हो रही है।
कच्चातिवु द्वीप का इतिहास:
14वीं शताब्दी: ज्वालामुखी विस्फोट के कारण द्वीप का निर्माण हुआ।
17वीं शताब्दी: मदुरई के राजा रामानद के अधीन रहा।
ब्रिटिश शासनकाल: मद्रास प्रेसीडेंसी के पास आया।
1921: भारत और श्रीलंका दोनों ने मछली पकड़ने के अधिकार के लिए दावा किया।
आजादी के बाद: भारत का हिस्सा माना गया।
1974:
- 26 जून: कोलंबो में भारत-श्रीलंका बैठक
- 28 जून: दिल्ली में भारत-श्रीलंका बैठक
- द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया गया, कुछ शर्तों के साथ:
- भारतीय मछुआरे जाल सुखाने के लिए द्वीप का उपयोग कर सकते हैं
- भारतीय लोग बिना वीजा के द्वीप में स्थित चर्च जा सकते हैं
इस समझौते ने भारत और श्रीलंका की अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा को चिह्नित किया।
विरोध: तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने इस समझौते का तीखा विरोध किया।
आज:
- द्वीप श्रीलंका के नियंत्रण में है।
- भारतीय मछुआरों को द्वीप पर कुछ अधिकार प्राप्त हैं।
- द्वीप का स्वामित्व विवादास्पद बना हुआ है।
अतिरिक्त जानकारी:
- द्वीप का क्षेत्रफल 285 एकड़ है।
- यह द्वीप समुद्री सीमा के श्रीलंकाई तट पर स्थित है।
- द्वीप पर एक सेंट एंथोनी कैथोलिक श्राइन है।