राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान पर ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भागवत ने कहा था कि “हर जगह मंदिर ढूँढ़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती”, जिसका विपक्षी दलों सहित समाज के एक बड़े वर्ग ने स्वागत किया था। हालांकि, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भागवत पर आरोप लगाया कि वह “राजनीतिक सुविधा” के अनुसार बयान देते हैं।
सत्ता के लिए मंदिर-मंदिर करते थे, अब नसीहत दे रहे हैं
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जब मोहन भागवत को सत्ता चाहिए थी, तब वह मंदिर-मंदिर करते थे, लेकिन अब जब उन्हें सत्ता मिल गई है तो वह लोगों को मंदिर न ढूँढ़ने की नसीहत दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह बयान उनकी “राजनीतिक सुविधा” के अनुरूप है।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार पर कड़ा कदम उठाने की जरूरत
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की कड़ी निंदा की और केंद्र सरकार से मांग की कि वह अवैध रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशियों को उनके देश भेजे। उन्होंने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की निष्क्रियता की आलोचना करते हुए कहा कि इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।
हिंदू समाज के गौरव को पुनः स्थापित करने की आवश्यकता
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने हिंदू धर्मस्थलों को फिर से पुनः स्थापित करने और उनका संरक्षण करने की बात की। उन्होंने कहा, “हिंदू समाज के साथ अतीत में बहुत अत्याचार हुआ है और उनके मंदिरों को नष्ट किया गया। अगर अब हिंदू समाज अपने मंदिरों को पुनर्निर्मित करना चाहता है तो इसमें गलत क्या है?”
केंद्रीय मंत्री अमित शाह और राहुल गांधी पर टिप्पणी
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बीआर आंबेडकर पर दिए बयान की भी आलोचना की। इसके अलावा, उन्होंने संसद परिसर में हुई धक्का-मुक्की पर राहुल गांधी का बचाव किया और कहा कि यह विवाद केंद्रीय गृह मंत्री के आंबेडकर पर दिए गए वक्तव्य के कारण हुआ था।
स्वामी ने यह भी कहा कि देश में आंबेडकर की विचारधारा मानने वाले लोग अधिक हैं, और इसलिए हर कोई अपनी राजनीतिक लाभ के लिए उनके नाम का इस्तेमाल कर रहा है।