जम्मू-कश्मीर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के लिए महत्वपूर्ण राज्य रहा है। वर्षों की मेहनत और प्रयासों के बावजूद, जबकि जम्मू क्षेत्र में बीजेपी की स्थिति मजबूत है, कश्मीर घाटी में पार्टी की उपस्थिति कमजोर रही है। विशेषकर अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद भी बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में बड़ा कदम उठाने से परहेज किया। हालांकि, विधानसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति को सुधारने के लिए बीजेपी ने पुरानी रणनीति को अपनाया है।
चार साल बाद, राम माधव को जम्मू-कश्मीर में फिर से सक्रिय किया गया है। राम माधव पहले भी जम्मू-कश्मीर के प्रभारी रहे हैं, लेकिन उन्हें पार्टी से हटा दिया गया था और वे आरएसएस में वापस चले गए थे। अब, जी किशन रेड्डी के साथ मिलकर वे विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं। यह कदम कई सवालों को जन्म देता है, विशेषकर इस बारे में कि क्या अमित शाह और राम माधव के बीच की टकराहट अब खत्म हो गई है।
जी किशन रेड्डी को गृह राज्य मंत्री के रूप में कार्य करते हुए असहज महसूस करने की खबरें आई थीं। उन खबरों के अनुसार, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी स्थिति को लेकर चर्चा की थी। अब, उन्हें जम्मू-कश्मीर का प्रभारी बनाया गया है, जो यह दर्शाता है कि बीजेपी संगठन में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव कर रही है।
370 हटाने के दौरान, अजीत डोभाल ने जम्मू-कश्मीर में सक्रिय भूमिका निभाई थी, जिससे यह संकेत मिला कि वह संवेदनशील मुद्दों को जमीन पर हैंडल कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि अमित शाह के अलावा भी कुछ प्रमुख व्यक्ति जम्मू-कश्मीर की स्थिति को लेकर सक्रिय हैं।
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के बीच कुछ मतभेद हो सकते हैं। संगठन से मिली कई शिकायतों और पीएमओ तक पहुंची समस्याओं के बाद, मोदी ने संगठन के कामकाज पर ध्यान देना शुरू किया है। राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी से बढ़ती सलाह-मशविरा भी यह दर्शाता है कि बीजेपी में एक कोर्स करेक्शन की प्रक्रिया चल रही है।
कुल मिलाकर, बीजेपी की रणनीति और संगठन में आ रहे बदलाव आगामी चुनावों और राजनीतिक परिदृश्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।