भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था आज मामूली 8 बिलियन डॉलर की है, लेकिन हमारा अपना अनुमान है कि 2040 तक यह कई गुना बढ़ जाएगी। लेकिन अधिक दिलचस्प बात यह है कि कुछ अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के अनुसार, उदाहरण के लिए हालिया एडीएल (आर्थर डी लिटिल) रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि हमारे पास 2040 तक 100 बिलियन डॉलर की क्षमता हो सकती है।
मुख्य आकलन:
- सॉफ्टवेयर और सेवाएं: भारत ने सॉफ्टवेयर और सेवाएं क्षेत्र में अपनी मार्क छोड़ने में सफलता प्राप्त की है। भारतीय आउटसोर्सिंग कंपनियों ने विश्वभर में अपने उच्च गुणवत्ता और कम लागत के सॉफ्टवेयर और आउटसोर्सिंग सेवाओं के लिए पहचान बनाई है।
- डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर: भारत ने डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने में भी कदम बढ़ाया है। उच्च-गति इंटरनेट, डिजिटल भुगतान, ब्लॉकचेन, और ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में विकसित और सुधारित होती डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से भारत ने आत्मनिर्भरता में वृद्धि की है।
- स्टार्टअप एकोसिस्टम: भारत में विभिन्न स्टार्टअप्स ने अपने नवाचारी और तकनीकी उत्पादों के माध्यम से अच्छे प्रदर्शन किया है। यह सेक्टर नौकरियों की उत्पत्ति में भी योगदान कर रहा है और नए आवसरों का सृजन कर रहा है।
- बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं: डिजिटल भुगतान, नेट बैंकिंग, और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में भी भारत ने बदलाव किया है। इससे वित्तीय समारिक्षा में सुधार हुआ है और वित्तीय समृद्धि में सहयोगी योगदान मिल रहा है।
इन सभी क्षेत्रों में भारतीय अर्थव्यवस्था ने अच्छे प्रदर्शन किया है और ये क्षेत्र आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण घटक बन रहे हैं। यह सुनिश्चित करता है कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और आने वाले समय में भी इन क्षेत्रों में और विकास कर सकता है।