जम्मू और कश्मीर में आर्टिकल 370 के निरस्त होने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। लंबे अंतराल के बाद आयोजित किए जा रहे इन चुनावों के पहले चरण में 18 सितंबर को मतदान शुरू हो गया है। इस चरण में जम्मू की 16 और कश्मीर की आठ सीटों पर वोटिंग हो रही है। सुबह सात बजे से शुरू हुई इस वोटिंग के दौरान लोगों ने भारी संख्या में पोलिंग बूथों पर पहुंचकर अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
पहले चरण के मतदान के दौरान किसी भी अनहोनी से बचने के लिए सुरक्षा बलों ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है। विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए चुनाव आयोग ने विशेष व्यवस्था की है, जिसके तहत दिल्ली, उधमपुर और जम्मू में अलग से पोलिंग बूथ बनाए गए हैं।
मतदान की शुरुआत के साथ ही पोलिंग बूथों पर लंबी-लंबी कतारें देखने को मिली हैं। महिलाएं भी बड़ी संख्या में घरों से बाहर आकर वोट देने के लिए पोलिंग बूथों पर पहुंची हैं। कांग्रेस महासचिव जी ए मीर ने अनंतनाग के डोरू विधानसभा क्षेत्र में मतदान किया है, जहां वे गठबंधन के उम्मीदवार भी हैं।
चिनाब घाटी में भी मतदान हो रहा है, जहां कुल 7.14 लाख पात्र मतदाता 64 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। डोडा, किश्तवाड़ और रामबन जिलों में आठ विधानसभा सीटों के 1,328 मतदान केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान जारी है। इस क्षेत्र में पिछले तीन महीनों में आतंकवादी गतिविधियों में तेजी देखी गई है, जिसमें छह सैन्यकर्मी और चार आतंकवादी मारे गए हैं।
पहले चरण में 35,000 से अधिक कश्मीरी पंडितों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने की सुविधा देने के लिए 24 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इनमें जम्मू में 19, उधमपुर में एक और दिल्ली में चार मतदान केंद्र शामिल हैं। विस्थापित समुदाय के सदस्य दक्षिण कश्मीर के 16 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं।
इस प्रकार, जम्मू और कश्मीर के विधानसभा चुनावों में पहले चरण के मतदान के दौरान नागरिकों की भारी भागीदारी और सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की जा रही है, जिससे चुनाव प्रक्रिया को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष बनाया जा सके।