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श्रीकृष्ण-जन्मभूमि के प्राचीन वैभव की प्राप्ति के संकल्प के साथ जन्माष्टमी मनाई जा रही है

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आज जन्माष्टमी के पावन अवसर पर पूरे देश के मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरित सुंदर झांकियों का दर्शन हो रहा है। जगह-जगह रासलीलाओं का आयोजन हो रहा है, जहाँ ‘राधे राधे’ और ‘जय श्री कृष्णा’ की गूंज सुनाई दे रही है। हर घर में छोटे बच्चे कृष्ण और बालिकाएं राधा का रूप धारण किए हुए हैं। मंदिरों से लेकर घरों तक कान्हा को झूले पर झुलाया जा रहा है।

इस विशेष पर्व पर राजनीतिक हस्तियों की भी उपस्थिति देखी जा रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर में भगवान के दर्शन और पूजन किए।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर आज 20 घंटे के लिए खुला रहेगा, जिससे भक्तजन बिना किसी बाधा के भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन कर सकें। सामान्य दिनों में मंदिर 12 घंटे खुला रहता है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा समिति के सचिव कपिल शर्मा और सदस्य गोपेश्वर चतुर्वेदी ने बताया कि भगवान के जन्मोत्सव के विभिन्न कार्यक्रम शनिवार से शुरू हो चुके हैं और ये कार्यक्रम बृहस्पतिवार तक चलेंगे।

इस बार जन्माष्टमी पर्व को श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पुरातन वैभव और स्वरूप की प्राप्ति के संकल्प के साथ मनाया जा रहा है। योगेश्वर श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर भगवान का जन्मोत्सव शास्त्रीय मर्यादाओं और परंपराओं के अनुसार मनाया जा रहा है। सुबह 5.30 बजे भगवान की मंगला आरती के साथ दिन की शुरुआत हुई। सुबह 8.00 बजे भगवान का पंचामृत अभिषेक किया गया। मुख्य जन्मभिषेक कार्यक्रम रात्रि 11.00 बजे शुरू होगा, और भगवान के जन्म की महाआरती रात्रि 12.10 बजे तक चलेगी।

जन्माष्टमी की शाम को श्रीकृष्ण लीला महोत्सव समिति द्वारा भरतपुर गेट से परंपरागत शोभायात्रा निकाली गई, जो होलीगेट, छत्ता बाजार, स्वामी घाट, चौक बाजार, मण्डी रामदास, डीग गेट होते हुए श्रीकृष्ण जन्मस्थान पहुंची।

भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को भव्य और दिव्य बनाने के लिए सभी तैयारियां की गई हैं। मंदिर की साज-सज्जा, भगवान के श्रृंगार और पोशाक को विशेष रूप से नयनाभिराम बनाया गया है।

मथुरा वासियों और दुनियाभर में फैले भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के मन में एक ही कामना है कि जिस प्रकार अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर में उनकी प्राण-प्रतिष्ठा की गई है, उसी प्रकार मथुरा में भी भगवान श्रीकृष्ण के भव्य मंदिर में उनकी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हो।

मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे अपने जूते-चप्पल और सामान ठहरने के स्थान पर ही छोड़कर आएं, क्योंकि श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर प्रवेश उत्तरी द्वार से मिलेगा और निकासी पूर्वी यानी मुख्य द्वार से होगी। मंदिर के आसपास चिकित्सा शिविर और ‘खोया-पाया’ केंद्र भी संचालित किए जा रहे हैं, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

देशभर में जन्माष्टमी का उत्सव पूरे जोश और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। भगवान श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से सभी का जीवन खुशहाल हो।

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