छतरपुर विधायक करतार सिंह तंवर को दलबदल विरोधी कानून के तहत स्पीकर द्वारा अयोग्य घोषित किया गया है, जिसके चलते उनकी दिल्ली विधानसभा की सदस्यता समाप्त हो गई है। दिल्ली विधानसभा स्पीकर के निर्देश पर जारी आदेश के मुताबिक, करतार सिंह तंवर की विधानसभा सदस्यता 10 जुलाई से समाप्त मानी जाएगी। तंवर ने 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के टिकट पर छतरपुर विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की थी।
तंवर ने जुलाई में आम आदमी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने का निर्णय लिया। इस दौरान उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह और दिल्ली पार्टी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा की मौजूदगी में नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। वह दिल्ली के पूर्व समाज कल्याण मंत्री और आप विधायक राज कुमार आनंद के साथ भाजपा में शामिल हुए थे।
करतार सिंह तंवर ने 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा नेता ब्रह्म सिंह तंवर को करीबी मुकाबले में हराया। यह जीत 2015 के विधानसभा चुनाव में तंवर की पिछली सफलता के बाद आई, जहां उन्होंने ब्रह्म सिंह तंवर के खिलाफ जीत हासिल की थी। तंवर ने 2014 में आम आदमी पार्टी में शामिल होने से पहले भाजपा से जुड़े थे। उनका राजनीतिक करियर 2007 में शुरू हुआ, जब उन्होंने दिल्ली नगर निगम में भाटी वार्ड के पार्षद के रूप में सीट जीती। राजनीति में आने से पहले, उन्होंने दिल्ली जल बोर्ड में जूनियर इंजीनियर के रूप में कार्य किया।
राजीव गांधी की सरकार ने महसूस किया कि दल बदल जैसी गंभीर समस्या को लेकर नियम होना आवश्यक है। जैसे, अगर कोई व्यक्ति भाजपा के सिंबल पर चुनाव लड़े और जीतकर कांग्रेस में शामिल हो जाए, तो यह जनता और उस पार्टी के साथ धोखा है। 1985 की जनवरी में शीतकालीन सत्र के दौरान राजीव गांधी सरकार ने भारत के संविधान में 52वां संशोधन किया, जिसमें दल बदल निरोधक कानून 1985 लाया गया। इस कानून में स्पष्ट किया गया कि कौन सी स्थितियों में यह कानून लागू होगा और इसे दल बदल निरोधक कानून के अंतर्गत माना जाएगा।