दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दिल्ली के जाट समुदाय को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली की ओबीसी सूची में शामिल 5 अन्य जातियों को भी केंद्र की ओबीसी सूची में जगह दी जानी चाहिए। इससे इन जातियों के युवाओं को केंद्र सरकार के संस्थानों में शिक्षा और रोजगार में समान अवसर मिलेंगे।
“जाट समुदाय के लिए लड़ूंगा”
प्रेस वार्ता में केजरीवाल ने कहा, “मैं जाट समुदाय के लिए लड़ूंगा और उन्हें केंद्र से आरक्षण दिलाने के लिए जो भी जरूरी होगा, वह करूंगा।”
पीएम मोदी पर वादाखिलाफी का आरोप
पुराने वादों की याद दिलाई
केजरीवाल ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में 10 साल पहले किए गए एक वादे की याद दिलाई। उन्होंने लिखा कि 2015 में पीएम मोदी ने दिल्ली के जाट प्रतिनिधियों से वादा किया था कि उन्हें केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल किया जाएगा, ताकि उन्हें आरक्षण का लाभ मिल सके।
अमित शाह पर भी निशाना
केजरीवाल ने दावा किया कि 2017 में यूपी चुनाव से पहले अमित शाह ने जाट नेताओं से मुलाकात की और यह वादा दोहराया। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी अमित शाह ने दिल्ली में जाट नेताओं को आरक्षण का भरोसा दिलाया था। लेकिन चुनाव के बाद कोई कदम नहीं उठाया गया।
केंद्र की नीतियों में विसंगतियों पर सवाल
दिल्ली बनाम राजस्थान का उदाहरण
केजरीवाल ने कहा कि राजस्थान के जाट युवाओं को दिल्ली विश्वविद्यालय में ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलता है क्योंकि वे केंद्रीय सूची में शामिल हैं। लेकिन दिल्ली के जाट युवा, राज्य की ओबीसी सूची में शामिल होने के बावजूद, इस लाभ से वंचित हैं क्योंकि केंद्र ने उन्हें अपनी सूची में शामिल नहीं किया।
अरविंद केजरीवाल ने जाट समुदाय के लिए केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। यह मुद्दा आगामी चुनावों में जाट समुदाय को साधने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है।