कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम को मणिपुर हिंसा पर किया गया ट्वीट भारी आलोचनाओं का शिकार हुआ, जिसके बाद उन्हें इसे डिलीट करना पड़ा। चिदंबरम ने एक्स (Twitter) पर एक पोस्ट में लिखा था, “यह समझ में आता है: मैतेई, कुकी-ज़ो और नागा एक राज्य में तभी एक साथ रह सकते हैं जब उनके पास वास्तविक क्षेत्रीय स्वायत्तता हो।” इस बयान पर भारी विवाद उठा और पार्टी नेता ओ इबोबी सिंह ने इसे चिदंबरम की निजी राय बताया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मणिपुर हिंसा को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा। पत्र में खरगे ने राष्ट्रपति से मणिपुर मामले में तत्काल हस्तक्षेप की अपील की, ताकि राज्य में हिंसा रुक सके और सामान्य स्थिति बहाल हो सके। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों पर हिंसा को रोकने में विफलता का आरोप लगाया और दावा किया कि मणिपुर की जनता अब इन दोनों सरकारों में विश्वास खो चुकी है।
खरगे ने पत्र में कहा, “मणिपुर में पिछले 18 महीनों से अभूतपूर्व उथल-पुथल जारी है, जिसमें 300 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और एक लाख लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हो चुके हैं। यह त्रासदी असाधारण रूप से गंभीर है।” उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की निष्क्रियता के चलते मणिपुर में अराजकता व्याप्त है और मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कांग्रेस नेता पी चिदंबरम पर पलटवार करते हुए उन्हें राज्य में चल रहे संकट का मूल कारण बताया। मुख्यमंत्री ने कहा, “हम चिदंबरम की पोस्ट से हैरान हैं। कांग्रेस के समय में केंद्रीय नेताओं की अनदेखी के कारण मणिपुर में कई समस्याएं उत्पन्न हुईं। मणिपुर के वर्तमान संकट की जड़ पी चिदंबरम हैं।”
यह पूरी स्थिति मणिपुर में राजनीतिक विवादों और राज्य के भीतर जारी हिंसा को लेकर बढ़ती चिंताओं को और हवा दे रही है।