केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में चर्चा के दौरान भारतीय संविधान को दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे खूबसूरत संविधान बताया। उन्होंने कहा कि संविधान ने भारत को विविधता में एकता का प्रतीक बनाया है। आइए, उनके वक्तव्य की मुख्य बातें जानें।
भारतीय संविधान की विशेषताएं
रिजिजू ने कहा कि भारतीय संविधान दुनिया के सभी संविधानों में सबसे समावेशी है।
यह हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता और अपनी आवाज उठाने का अधिकार प्रदान करता है।
संविधान की धाराएं अल्पसंख्यकों को भी समान अधिकार देती हैं, जिससे सामाजिक समरसता बनी रहती है।
संविधान की भावना का सम्मान
रिजिजू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 से संविधान की भावना को बरकरार रखते हुए नीतियां बनाई हैं।
उन्होंने उल्लेख किया कि एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाना संविधान की भावना का सम्मान है।
भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को समान अवसर और अधिकार देता है।
बाबा साहेब अंबेडकर का योगदान
रिजिजू ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब वे कानून मंत्री बने, तो उन्होंने सबसे पहले यह समझने की कोशिश की कि बाबा साहेब अंबेडकर क्या चाहते थे।
उन्होंने बाबा साहेब के प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को लिखे इस्तीफे के पत्र का जिक्र करते हुए उनके विचारों और संघर्षों पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने समानता और न्याय पर आधारित एक मजबूत नींव रखी।
अंतरराष्ट्रीय संदर्भ और भारत की स्थिति
केंद्रीय मंत्री ने यूरोपीय संघ के एक सर्वे का हवाला दिया, जिसमें 48% लोग भेदभाव का शिकार बताए गए।
उन्होंने कहा कि अन्य देशों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार बढ़ रहे हैं, जबकि भारत में वे सबसे सुरक्षित महसूस करते हैं।
उन्होंने पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान जैसे देशों में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा का उल्लेख किया।
भारत की छवि पर जोर
रिजिजू ने कहा, “हमें ऐसा कुछ नहीं कहना चाहिए जिससे भारत की छवि को नुकसान पहुंचे। यह किसी राजनीतिक दल के लिए नहीं, बल्कि देश के सम्मान के लिए आवश्यक है।”
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने अपने संबोधन में भारतीय संविधान की खूबसूरती और समावेशिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे संविधान ने भारत को विविधता में एकता के मार्ग पर अग्रसर किया है। साथ ही, उन्होंने देश के भीतर और बाहर, भारतीय लोकतंत्र और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर सकारात्मक संदेश देने पर जोर दिया।