अमेरिका में क्वाड (Quad) शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और सहयोग पर जोर दिया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने गृहनगर विलमिंगटन में इस महत्वपूर्ण बैठक की मेजबानी की। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भाग लिया। इस समिट में सदस्य देशों ने यूक्रेन में स्थायी शांति का आह्वान किया और चीन की बढ़ती आक्रामकता पर भी चर्चा की।
चीन का नाम सीधे लिए बिना क्वाड नेताओं ने दक्षिण चीन सागर और उसके आसपास के क्षेत्रों में चीन के तटरक्षक और मिलिशिया जहाजों के खतरनाक उपयोग पर चिंता जताई। सभी नेताओं ने बलपूर्वक किसी भी प्रकार की स्थिति बदलने की एकतरफा कार्रवाई का कड़ा विरोध किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “स्वतंत्र, खुला और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र हमारी प्राथमिकता है।”
क्वाड नेताओं ने समुद्री सुरक्षा के लिए नए कदमों की घोषणा की, जिसमें 2025 में ‘क्वाड-एट-सी’ जहाज पर्यवेक्षक मिशन शुरू करने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और सहयोग बढ़ाने के लिए नई क्षेत्रीय समुद्री पहल ‘मैत्री’ का भी ऐलान हुआ।
क्वाड समिट के बाद चीन ने इस पर पलटवार किया। चीन की सरकारी मीडिया ने क्वाड पर आरोप लगाया कि यह समूह बीजिंग और उसके पड़ोसियों के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश कर रहा है। सरकारी अखबार ‘चाइना डेली’ के अनुसार, अमेरिका इस क्षेत्र में ‘फूट डालो और राज करो’ की रणनीति लागू कर रहा है। हालांकि, क्वाड के संयुक्त बयान में चीन का नाम नहीं लिया गया, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने चीन का कई बार उल्लेख किया।
समिट के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अनौपचारिक तौर पर कहा कि चीन क्वाड देशों की परीक्षा ले रहा है और क्षेत्र में आक्रामक रुख अपना रहा है। उनकी यह टिप्पणी मीडिया के माइक में रिकॉर्ड हो गई, जिससे अमेरिका की चीन के प्रति गंभीरता स्पष्ट होती है।