पुरी, ओडिशा पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार का ताला खोल दिया गया है। तहखाने को खोलने की प्रक्रिया से पहले मंदिर में भक्तों के दर्शन पर रोक लगाई गई थी। सुबह आठ बजे से पहले ही भक्तों को मंदिर में प्रवेश से रोका गया था।
मंदिर में भक्तों की एंट्री इसलिए रोकी गई क्योंकि आंतरिक कक्ष से सोने-चांदी और बेशकीमती चीजों को अस्थायी स्ट्रांग रुम में स्थानांतरित किया जाना था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) मंदिर के संरक्षण की जिम्मेदारी संभालता है और आंतरिक कक्ष में संरक्षण का काम एएसआई द्वारा किया जाना है। कीमती सामानों के स्थानांतरण के कारण यह तहखाना 46 वर्ष बाद फिर से खोला गया है।
रत्न भंडार में एक आंतरिक और एक बाहरी कक्ष है। आज आंतरिक कक्ष खोला जाएगा। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के अनुसार गुरुवार सुबह 8:00 बजे के बाद किसी का भी प्रवेश मंदिर में नहीं हो सकेगा। केवल अधिकृत व्यक्ति और सेवक ही मंदिर में जा सकेंगे। भक्त भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के दर्शन कर सकते हैं, क्योंकि वर्तमान में तीनों ही मंदिर के बाहर रथों पर सवार हैं।
पुरी जगन्नाथ मंदिर का प्रशासन राज्य सरकार के विधि विभाग के अधीन आता है। मंदिर के प्रशासन के अनुसार, भगवान को कई वर्षों से भक्त कीमती वस्तुएं दान करते आ रहे हैं, जिन्हें रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष में रखा जाता है। बाद में इन्हें मंदिर परिसर के अंदर अस्थायी स्ट्रांग रूम में ट्रांसफर किया जाता है।
मंदिर प्रशासन के अनुसार, एएसआई को खजाने के अंदर के कक्ष से सभी वस्तुओं को हटाना होगा। सभी वस्तुएं हटाने के बाद ही संरक्षण का कार्य शुरू होगा। रत्न भंडार की मरम्मत के बाद सूची बनाई जाएगी और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी। तहखाना खोलने की पूरी प्रक्रिया राज्य सरकार द्वारा तय मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के तहत होगी।
जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खोलने के बाद सोने-चांदी और अन्य बेशकीमती चीजों का खुलासा होगा, जिससे मंदिर के ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण और भी प्रभावी तरीके से किया जा सकेगा।