नई दिल्ली (नेशनल थॉटस) : राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने प्री-स्कूल यानि बाल वाटिका के बच्चों के लिए ”जादुई पिटारा” नाम से सीखने-सिखाने की सामग्री तैयार की है। इसमें खेलकूद, खिलौने, गीत-संगीत और अन्य क्रियाकलापों के माध्यम से बच्चों के शिक्षण पर जोर दिया गया है। इस संबंध में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि अगले शैक्षणिक सत्र से देश के सभी केंद्रीय विद्यालयों में बाल वाटिका की शुरुआत कर दी जाएगी।
कैसे तैयार हुआ जादुई पिटारा ?
ज्ञात हो, पीएम मोदी के विजन के अनुरूप 3 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए खेल-आधारित शिक्षण-अध्यापन सामग्री ‘जादुई पिटारा’ लॉन्च की गई है। प्लेबुक, खिलौने, पहेलियां, पोस्टर, फ्लैश कार्ड, कहानी की किताबें, वर्कशीट के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति, सामाजिक संदर्भ और भाषाओं को मिलाकर बना ‘जादुई पिटारा’ जिज्ञासा को बढ़ाने और लोगों की विविध आवश्यकताओं को समायोजित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
13 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध
राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा के तहत विकसित ‘जादुई पिटारा’ 13 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है। यह सीखने-सिखाने के माहौल को समृद्ध करने और अमृत पीढ़ी के लिए इसे और अधिक बाल-केंद्रित, जीवंत और आनंदमय बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग है जैसा कि एनईपी 2020 में परिकल्पना की गई है।
बच्चों के विकास की दृष्टि से शुरुआती 8 साल बेहद महत्वपूर्ण
बच्चों के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास की दृष्टि से शुरुआती 8 साल बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे में यह बेहद जरूरी होता है कि बच्चों के खेलकूद के जरिए शिक्षण पर जोर दिया जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भावना के अनुरूप बाल वाटिका के बच्चों के खेल के माध्यम से पढ़ना, लिखना सिखाने के मकसद से एनसीईआरटी ने शिक्षण सामग्री तैयार की है।
सीखने-सिखाने की सामग्री से भरपूर
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को जादुई पिटारा नामक आधारभूत स्तर के लिए सीखने-सिखाने की सामग्री का विमोचन किया। 3 से 8 साल तक के बच्चों के समग्र विकास को ध्यान में रखकर उन्हें खेलकूद, खिलौने, प्लेबुक्स, एक्टिविटी बुक्स, वर्कशीट, पोस्टर, पजल और चार्ट जैसे माध्यमों से पढ़ना-लिखना सिखाने के मकसद से जादूई पिटारे की शुरुआत की गई है।
2023-24 से देश के 1,200 केंद्रीय विद्यालयों में बाल वाटिका की शुरुआत कर दी जाएगी
शिक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि अगले शैक्षणिक सत्र 2023-24 से देश के 1,200 केंद्रीय विद्यालयों में बाल वाटिका की शुरुआत कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस महीने के अंत तक कक्षा एक और दो के लिए भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति आधारित पाठ्य पुस्तकें जारी कर दी जाएंगी।
8 साल की उम्र तक हो जाता है मस्तिष्क क्षमता का 80 फीसदी विकास
उल्लेखनीय है कि मनुष्य की मस्तिष्क क्षमता का 80 फीसदी विकास 8 साल की उम्र तक हो जाता है। इस उम्र में बच्चे अपनी भाषा में अपने परिवेश से जुड़कर सीखते हैं। बच्चों को उनके परिवेश और उम्र के हिसाब से और उनकी ही भाषा में सिखाने के मकसद से जादुई पिटारा की शुरुआत की गई है। यह बच्चों के बहुमुखी विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।