महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है, जो चुनाव से पहले भाजपा और उसके सहयोगी दलों के लिए चिंता का विषय बन गया है। हाल ही में हुई एक कैबिनेट बैठक में अजित पवार ने बीच में ही बैठक छोड़ दी, जिससे राजनीतिक स्थिति और भी जटिल हो गई है।
सूत्रों के अनुसार, गुरुवार को कैबिनेट बैठक के दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आगामी विधानसभा चुनावों के संदर्भ में कई प्रमुख घोषणाएं कीं। हालाँकि, अजित पवार ने इन प्रस्तावों को मंजूरी देने से इनकार कर दिया और कई पर कड़ी आपत्ति जताई, जिसके परिणामस्वरूप दोनों नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक हुई।
अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट ने आगामी चुनाव से पहले कई महत्वपूर्ण पहलों और कल्याणकारी योजनाओं को तेजी से शुरू करने पर जोर दिया है। एकनाथ शिंदे की सरकार मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए विभिन्न योजनाएं लागू करने की योजना बना रही है। पिछले कुछ कैबिनेट बैठकों में सरकार ने विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए कई घोषणाएं की थीं।
सूत्रों के अनुसार, असहमति की जड़ बारामती के कुछ प्रस्ताव प्रतीत होती हैं, जो शिंदे द्वारा पेश किए गए थे। यह भी कहा जा रहा है कि ये प्रस्ताव शरद पवार के कार्यालय से मंजूरी के लिए आए होंगे, जिससे अजित पवार नाराज हो गए। हालाँकि, कैबिनेट ने बाद में 38 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इसमें बारामती परियोजना शामिल थी या नहीं। अजित पवार ने इस मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश की है।
इस प्रकार, महाराष्ट्र की महायुति में इस संकट ने आगामी चुनावों के लिए राजनीतिक स्थिति को और भी जटिल बना दिया है।