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“मणिपुर हिंसा: हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद, कुकीज के बंद से जनजीवन प्रभावित”

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मणिपुर के चुराचांदपुर और कांगपोकपी जिलों में शुक्रवार को ‘कुकी जो’ संगठनों द्वारा बुलाए गए बंद के कारण सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ। यह बंद राज्य सरकार के उस दावे के विरोध में था, जिसमें कहा गया था कि 900 प्रशिक्षित कुकी उग्रवादी 28 सितंबर को इंफाल घाटी के गांवों पर हमला करेंगे।

मणिपुर के तीन जिलों में सुरक्षाबलों ने एक बड़ा तलाशी अभियान चलाया, जिसमें हथियारों और गोला-बारूद का जखीरा बरामद हुआ। मणिपुर पुलिस और असम राइफल्स की संयुक्त टीम ने कांगपोकपी जिले के लोइचिंग क्षेत्र से दो .303 राइफल, एक 9 एमएम पिस्तौल, मैगजीन, कारतूस, चार हथगोले, दो डेटोनेटर, एक देसी मोर्टार और एक इम्प्रोवाइज्ड मोर्टार बरामद किया। चुराचांदपुर जिले में गोथोल गांव से दो इम्प्रोवाइज्ड मोर्टार भी बरामद किए गए।

मणिपुर में पिछले साल मई से ही मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा जारी है, जिसमें अब तक 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। कुकी जो संगठनों द्वारा बुलाए गए बंद के कारण चुराचांदपुर और कांगपोकपी जिलों में स्कूल और व्यापारिक संस्थान प्रभावित रहे। खासकर कांगपोकपी में बाजार बंद रहे और वाहनों की आवाजाही भी रुकी रही।

हाल ही में मणिपुर सरकार ने 900 कुकी उग्रवादियों द्वारा इंफाल घाटी के गांवों पर हमला करने के दावे को वापस ले लिया। राज्य के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने पहले दावा किया था कि 900 कुकी उग्रवादी म्यांमार से मणिपुर में घुसपैठ कर चुके हैं और वे इंफाल घाटी के परिधीय गांवों पर हमला करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, बाद में इस दावे को निराधार बताते हुए वापस ले लिया गया।

हालांकि, सुरक्षा बल घाटी के परिधीय क्षेत्रों में सतर्कता बनाए हुए हैं ताकि किसी भी संभावित हमले को रोका जा सके। मणिपुर की मीती आबादी राज्य का 53 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि कुकी और नागा जनजातियां मिलकर 40 प्रतिशत हैं, जो पहाड़ी इलाकों में रहते हैं।

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