दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आज शराब घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली, जब उन्हें जमानत मिल गई। आम आदमी पार्टी और विपक्ष के नेताओं ने सिसोदिया को जमानत मिलने का स्वागत किया, जबकि भाजपा की प्रतिक्रिया सधी हुई रही। अब इस मामले में आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही जेल में रह गए हैं। सिसोदिया से पहले राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी जेल से बाहर आ चुके हैं।
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन मामलों में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आज अपना फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। सिसोदिया की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने की, जबकि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अदालत के समक्ष दलीलें पेश कीं।
मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी, 2023 को सीबीआई ने रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के लिए गिरफ्तार किया था। इसके बाद, 9 मार्च 2023 को ईडी ने उन्हें धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया। उन्होंने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
सिसोदिया ने जमानत के लिए तर्क दिया था कि वह 17 महीने से हिरासत में हैं और उनके खिलाफ मुकदमे की सुनवाई अभी तक शुरू नहीं हुई है। ईडी और सीबीआई ने उनकी जमानत याचिका का विरोध किया था। प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया कि उनके पास सिसोदिया की इस घोटाले में गहरी संलिप्तता के प्रमाण हैं।
सीबीआई और ईडी ने अदालत को बताया कि सिसोदिया के खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं, और उनकी जमानत का विरोध किया। वहीं, सिसोदिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने तर्क दिया कि मुकदमे में देरी हो रही है, और 17 महीने की हिरासत के बाद भी सिसोदिया को जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आज मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी, जिससे वह 17 महीने बाद जेल से बाहर आ सकेंगे।