केंद्रीय मंत्री और चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस को सोमवार को पटना में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) का दफ्तर खाली करना पड़ा। बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग ने उन्हें 13 नवंबर तक कार्यालय खाली करने का नोटिस दिया था, लेकिन उन्होंने तय समय से पहले ही दफ्तर को खाली कर दिया और अपने एमएलए कॉलोनी स्थित आवास में शिफ्ट हो गए।
यह बंगला, 1 व्हीलर रोड पर स्थित, पहले पशुपति पारस को विधायक रहते समय आवंटित हुआ था। बाद में, जब चुनाव हारे, तो यह दफ्तर दिवंगत राम विलास पासवान की पार्टी के नाम पर दिया गया। 2020 में राम विलास पासवान के निधन के बाद पार्टी में बंटवारा हो गया, जिसके बाद बंगले को लेकर पारस और चिराग पासवान के बीच विवाद बढ़ा।
बंगले को बचाने की कोशिश में पारस ने पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, लेकिन राहत नहीं मिली। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने निष्कासन रोकने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की, लेकिन इसका भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा। अदालत ने सुझाव दिया कि यदि आवश्यक हो, तो पार्टी नए बंगले के आवंटन के लिए आवेदन कर सकती है।
दो साल पहले चिराग पासवान को भी अपने पिता राम विलास पासवान के सरकारी बंगले, 12 जनपथ से बेदखल होना पड़ा था। चिराग ने इसे एक ठगा हुआ और अपमानित करने वाला अनुभव बताया था। राम विलास पासवान का यह बंगला पार्टी बैठकों और अन्य कार्यक्रमों के लिए उपयोग में लाया जाता था। बेदखली के समय पासवान परिवार का सामान, राम विलास पासवान की तस्वीरें और बीआर अंबेडकर की मूर्तियाँ सड़क पर रखी नजर आई थीं।