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Mehandipur Balaji: History, interesting facts, and religious beliefs of Mehandipur Balaji Temple of Rajasthan.

Mehandipur Balaji: राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास, रोचक तथ्य, और धार्मिक मान्यताएं

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नई दिल्ली,(नेशनल थॉट्स ) – भारत में विभिन्न धर्म और संस्कृतियों के लोग निवास करते हैं और वे अपने विविधता को प्यार से स्वीकार करते हैं। भारत को इस आदर्शता के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध किया जाता है। यहां अनेक धार्मिक स्थल हैं, जो अपनी मान्यताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं।
 
 आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो न केवल देश में मशहूर है, बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है – मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, जो राजस्थान में स्थित है। आइए, हम आपको इस संबंधित मंदिर के रोचक तथ्यों के बारे में बताते हैं।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के रोचक तथ्य:

  • यह मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है और हनुमान जी को समर्पित है।
  • इस मंदिर को काफी कल्याणकारी माना जाता है और मान्यता है कि इसे भूत-प्रेत की बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों से बचाने के लिए सायंकाल 2 बजे कीर्तन होता है।
  • मंदिर में भैरव बाबा की मूर्ति स्थित है, और यहां पर आने वाले लोगों को एक सप्ताह तक अंडा, मांस, शराब, लहसुन और प्याज की वस्तुओं का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है, जो इस मंदिर के प्रति सभी भक्तों के लिए अनिवार्य है।
 

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास:

ये मंदिर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. जिसके इतिहास से जुड़ी एक कहानी काफी प्रचलित है. इस मंदिर में तीन देवता लगभग 1000 साल से यहां विराजमान है. ऐसा माना जाता है कि अरावली पहाड़ियों के बीच हनुमान भगवान की मूर्ति अपने आप बनी हुई है. इसे किसी कलाकार की ओर से नहीं बनाया गया है. 
 
साथ ही माना जाता है कि इस मंदिर के पुराने महंत को एक सपना आया था. सपने में उन्होंने तीन देवताओं को देखा था. जिसे बाला जी के मंदिर निर्माण का संकेत माना जाता है. जहां महंत जी को ये आदेश दिया गया कि वे सेवा करके अपने कर्तव्य का निर्वहन करे. जिसके बाद से यहां भगवान हनुमान की पूजा अर्चना शुरू कर दी गई और फिर बाद में तीन देवता वहां स्थापित हो गए.

अनिवार्य नियम

  • मंदिर के अंदर अजनबियों को न छुएं न और बातचीत न करें
  • मंदिर के अंदर कुछ भी न खाएं-पिएं
  • मंदिर जाने से पहले प्याज या नॉन वेज खाना न खाएं
  • गांव से वापस जाते समय कोई भी प्रसाद या अन्य सामग्री न ले जाएं
  •  मंदिर से जाते समय पीछे मुड़कर न देखें

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