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नई दिल्ली,न्यूज डेस्क (नेशनल थॉट्स):हिन्दू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष(अगहन)माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। द्वापर युग में योगेश्वर श्री कृष्ण ने इस दिन अर्जुन को मनुष्य का जीवन सार्थक बनाने वाली गीता का उपदेश दिया था।
मोक्षदा एकादशी महत्व : एकादशी स्वयं विष्णु प्रिया है इसलिए इस दिन व्रत जप-तप पूजा पाठ करने से प्राणी श्री विष्णु का सानिध्य प्राप्त कर एवं सभी सांसारिक सुख भोग कर जीवन-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से नीच योनि में गए पितरों को मुक्ति मिलती है।भक्ति-भाव से किए गए इस व्रत के प्रभाव से प्राणी सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त होता है। मोक्ष प्रदान करने वाली यह एकादशी मनुष्यों के लिए चिंतामणि के समान समस्त कामनाओं को पूर्ण कर बड़े-बड़े पातकों का नाश करने वाली है।
तुलसी मंजरी से हो पूजन : इस दिन गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान व भगवान विष्णु के पूजन का विशेष महत्त्व है। इस एकादशी को श्री हरि को प्रिय तुलसी की मंजरी तथा पीला चन्दन,रोली,अक्षत,पीले पुष्प,ऋतु फल एवं धूप-दीप,मिश्री आदि से भगवान दामोदर का भक्ति-भाव से पूजन करना चाहिए।लेकिन एकादशी के दिन तुलसी तोडना वर्जित माना गया है इसलिए एक दिन पहले ही तुलसी तोड़ कर रख लें।रात्रि के समय भगवान नारायण की प्रसन्नता के लिए नृत्य,भजन-कीर्तन और स्तुति के द्वारा जागरण करना चाहिए।जागरण करने वाले को जिस फल की प्राप्ति होती है,वह हज़ारों बर्ष तपस्या करने से भी नहीं मिलता।एकादशी तिथि मुहूर्त : हिंदू पंचांग के अनुसार मोक्षदा एकादशी की शुरुआत 03 दिसंबर 2022, शनिवार को सुबह 05 बजकर 39 मिनट पर होगी और इसका समापन 04 दिसंबर को सुबह 05 बजकर 34 मिनट पर होगा।