एक बार एक गरीब लकड़हारा था। वह प्रतिदिन लकड़ी काटने जाता था। एक दिन वह नदी के निकट लकड़ी काट रहा था। उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई। वह रोया और सहायता के लिए चिल्लाया। इस बीच जल-देवता प्रकट हुए और सोने की एक कुल्हाड़ी लाये। लकड़हारे ने इसे लेने से मना कर दिया। फिर देवता चाँदी की एक कुल्हाड़ी लाये। उसने लकड़हारे से उस कुल्हाड़ी को लेने को कहा। उसने उसे भी लेने से मना कर दिया क्योंकि वह उसकी कुल्हाड़ी नहीं थी। फिर जल-देवता उसकी असली कुल्हाड़ी लाया। उसने लकड़हारे से इसे लेने के लिये कहा। उसने इसे ले ली। जल-देवता उसकी ईमानदारी पर बहुत खुश हुए । उसने तीनों कुल्हाड़ियाँ उसे दे दी। वह बहुत प्रसन्न हुआ और देवता को धन्यवाद दिया।
शिक्षा : ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।