एक व्यस्त शहर में रहने वाले आकाश को लगता था कि उसकी ज़िंदगी एक टूटी हुई चाबी की तरह है. वह कभी भी किसी चीज़ को सही से हासिल नहीं कर पाता था. पढ़ाई में पिछड़ना, खेलों में हारना, हर चीज़ में उसे असफलता ही मिलती थी. इससे निराश होकर, एक दिन वह उदास मन से पार्क में चला गया.
वहाँ एक बूढ़े व्यक्ति को बेंच पर बैठे देखा, जो पक्षियों को दाना खिला रहे थे. आकाश उनके पास चला गया और अपनी परेशानी बताई. बूढ़े व्यक्ति ने धीरे से कहा, “बेटा, जिंदगी एक टूटी हुई चाबी की तरह नहीं होती. यह एक खाली कैनवास है, जिस पर तुम अपनी कहानी खुद बना सकते हो.”
आकाश को यह बात समझ नहीं आई. बूढ़े व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए समझाया, “देखो, ये पक्षी जो तुम देख रहे हो, हर रोज़ उड़ना सीखते हैं. कई बार गिरते हैं, चोट खाते हैं, पर हार नहीं मानते. उसी तरह, ज़िंदगी में भी असफलताएँ आती हैं, लेकिन ज़रूरी है उनसे सीखना और आगे बढ़ना.”
बूढ़े व्यक्ति की बातों ने आकाश को सोचने पर मजबूर कर दिया. उसने सोचा कि शायद अब तक वह गलत रास्ते पर चल रहा था. उसने सफलता को पाने के लिए मेहनत नहीं की थी, बल्कि सिर्फ नतीजों की उम्मीद करता था.
उस दिन से, आकाश ने बदलने का फैसला किया. उसने अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया. खेलों में हारने से घबराने के बजाय, उसने अभ्यास करना शुरू किया. धीरे-धीरे से बदलाव महसूस होने लगा. उसकी मेहनत रंग लाने लगी.
कुछ समय बाद, आकाश को यह एहसास हुआ कि ज़िंदगी एक टूटी हुई चाबी नहीं, बल्कि ढेर सारी संभावनाओं से भरा हुआ तालाब है. और इस ताले को खोलने की चाबी हमारे अपने हाथों में होती है, बस मेहनत और लगन की ज़रूरत होती है.
सार
यह कहानी हमें सिखाती है कि असफलताएँ ज़िंदगी का हिस्सा हैं, लेकिन हमें उनसे हार नहीं माननी चाहिए. मेहनत और लगन से हम किसी भी मुकाम को हासिल कर सकते हैं. अपनी ज़िंदगी को खुद संवारें और उसे सफल बनाने की कोशिश करें.