50% LikesVS
50% Dislikes
स्पेशल स्टोरी: एक शहर में दो दोस्त रहते थे एक दिन वो दोनों दोस्त समुद्र के किनारे शंख इकट्ठा करने के लिए गए ताकि उन शंखों को बेचकर वो अपने लिए कुछ पूंजी जमा कर पाए।
पहले दोस्त को एक बड़ा शंख मिला :
दोनों दोस्त शंख इकठ्ठा कर ही रहे थे तभी पहले वाले दोस्त को एक बड़ा शंख दिख गया और ये देखकर दूसरे वाले दोस्त के मन में आया की यार इसे तो बड़ा शंख मिल गया अब ये मुझसे ज्यादा पैसा कमा लेगा।
अब दूसरे दोस्त के मन में लालच आ गया उसने भी एक बड़ा शंख खोजना शुरू किया:
ये देख दूसरे दोस्त ने सोचा की अब मैं भी इससे बड़ा शंख ही ढूढूंगा ताकि मैं भी ज्यादा पैसा कमा पाऊ तो अब वह लग गया बड़े शंख की तलाश में उसने खूब ढूंढा खूब मेहनत की लेकिन फिर भी उसे बड़ा शंख हासिल नहीं हुआ और उस बड़े शंख के चक्कर में उसे जितने भी छोटे छोटे शंख मिलते उन सारे शंखो को उठाकर फेंक देता क्योकि उसके दिमाग में वो बड़ा शंख था की मुझे किसी भी हालत में वो बड़ा शंख चाहिए ताकि मैं थोड़े ज्यादा पैसे कमा पाऊ।
उसने बड़े शंख के लालच में वो सभी छोटे शंख गवा दिए:
उस बड़े शंख के तलाश में दोपहर से शाम हो गयी शाम से रात हो गयी तो ना तो उसे बड़ा शंख मिला और बल्कि जो छोटे-छोटे शंख उसे मिले थे उन शंखों को भी उसने फेक दिए तो उसके हाथ में कुछ नहीं आया और जो पहला वाला दोस्त था उसके पास एक बड़ा शंख था और कुछ छोटे शंख थे।
पहले दोस्त के सारे छोटे शंख 3000 हजार रूपए में बिक गए :
रात हो गयी और वो दोनों दोस्त घर जाने लगे तो घर जाते वक्त पहला वाला जो दोस्त था उसने अपने शंख बेच दिए तो उसके पास जो बड़ा शंख था उसके उसे मिले 1000 रूपये और जो छोटे छोटे शंख जो उसके पास थे उसके उसे मिले 3000 हजार रूपये और ये जानकर उस दूसरे वाले दोस्त को बहुत दुःख हुआ की काश वह उन छोटे छोटे शंख को फेंकता नहीं तो अभी मेरे पास इससे भी ज्यादा कमाई होती।
उसके दोस्त ने उसे बताया जो छोटे शंख तूने फेंक दिए थे मैं वो अब उठता रहा:
उसके दोस्तों ने उसे बताया की जो छोटे छोटे शंख तूने फेंक दिए थे ना उन्ही को मैंने अपने पास कलेक्ट कर लिया और उन्ही की वजह से मुझे मिले 3000 रूपये और ये जानकर वो दूसरा वाला दोस्त और भी ज्यादा निराश हो जाता है।
सार: दोनों दोस्तों का लक्ष्य एक ही था वो था पैसा, लेकिन पहले वाले दोस्त ने ही बड़े पर भी फोकस किया और छोटे पर भी फोकस किया और दूसरा दोस्त सिर्फ बड़े पर ही फोकस किया छोटी छोटी चीज़ो को इग्नोर कर दिया और जहा उसे ज्यादे पैसे मिलने चाहिए थे वह उसे एक रुपया भी नहीं मिला।
शिक्षा: हम छोटे-छोटे बदलाव ही बड़े कामयाबी का हिस्सा होता है। ऐसे ही और शार्ट स्टोरी के लिए आप मोटिवेशन की आग पर आकर देख सकते है।