हर किसी के जीवन में कभी ना कभी ऐसा समय आता है, जब असफलता का सामना करना पड़ता है. कई बार लगातार असफलताएं निराशा पैदा कर देती हैं और हार मानने का मन करता है. लेकिन यह कहानी आपको सिखाएगी कि हौसला (Hausla) ही असली ताकत है, जो हार को जीत में बदल सकती है.
कहानी:
एक छोटे से गांव में रहने वाला युवक सपना देखता था कि वह एक प्रसिद्ध चित्रकार बनेगा. उसने कड़ी मेहनत की और कई कला प्रतियोगिताओं में भाग लिया, लेकिन हर बार असफल रहा. बार-बार असफलता से वह हताश हो गया और उसने चित्रकारी छोड़ने का फैसला कर लिया.
उस दिन शाम को उदास मन से खेत की ओर जा रहा था. रास्ते में एक बूढ़े किसान को देखा, जो बार-बार कुएं से पानी निकालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन हर बार रस्सी टूट जाती थी. युवक को उस पर दया आई और उसने किसान की मदद करने का फैसला किया.
कुछ ही देर में उसने मजबूत रस्सी से पानी खींच लिया और किसान को दे दिया. किसान ने युवक को धन्यवाद दिया और पूछा, “तुम इतने हताश क्यों दिख रहे हो?” युवक ने अपनी असफलताओं के बारे में बताया और कहा कि वह अब चित्रकारी छोड़ देना चाहता है.
किसान ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, तुम हार क्यों मान रहे हो? मैंने आज ही 12 बार कोशिश की, लेकिन हार नहीं मानी. अगर मैं भी हार मान लेता, तो मुझे पानी नहीं मिल पाता.”
युवक किसान की बात सुनकर सोच में पड़ गया. उसने महसूस किया कि हार मान लेना ही असली असफलता है (Haar Maan Lena Hi Asli Asafalta Hai).
उसने उसी दिन ठान लिया कि वह हार नहीं मानेगा और अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करता रहेगा. कुछ सालों बाद कड़ी मेहनत और लगन के बल पर वह युवक एक प्रसिद्ध चित्रकार बन गया. उसने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते.
सीख:
यह कहानी हमें सिखाती है कि हर असफलता सीखने का एक अवसर है (Har Asafalta Seekhne Ka Ek Avsar Hai). हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और अपने हौसलों (Hauslo) को बनाए रखना चाहिए. तभी हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं.