( नेशनल थोट्स ) बिट्टू एक रंगीन दुनिया का दीवाना था। वह स्कूल में हमेशा उम्दा चित्र बनाता था, लेकिन उसकी खुशी उस दिन अधूरी रह गई, जब उसकी सबसे प्यारी नीली क्रेयॉन टूट गई। उसने निराश होकर उसे कूड़ेदान में फेंक दिया। उसकी बड़ी बहन, आशा, ने उसे ऐसा करते देखा।
आशा ने बिट्टू को रोका और टूटी क्रेयॉन उठा ली। उसने उसे साफ किया और कहा, “बिट्टू, टूटी चीजें भी खूबसूरत तस्वीरें बना सकती हैं।”
बिट्टू को समझ नहीं आया। आशा ने उसे एक नई सफेद शीट दी और उस टूटी क्रेयॉन से उसे आकाश को रंगने के लिए कहा। बिट्टू ने संकोच करते हुए ऐसा ही किया। शीट पर एक हल्का नीला रंग फैल गया, जो गहरा नीले आसमान जैसा नहीं लग रहा था।
आशा हंसी और कहा, “अब इस टूटी हरे रंग की क्रेयॉन से पेड़-पौधे बनाओ।” बिट्टू ने वैसा ही किया। शीट पर हल्का हरा रंग फैल गया, जो गहरे हरे पेड़ों जैसा नहीं लग रहा था।
आशा ने फिर कहा, “देखो बिट्टू, यह आसमान थोड़ा हल्का नीला है, लेकिन फिर भी कितना सुंदर लग रहा है। और ये पेड़-पौधे थोड़े हल्के हरे हैं, लेकिन फिर भी कितने प्यारे लग रहे हैं। हर चीज को बिल्कुल वैसा ही होना जरूरी नहीं है, जैसा हम सोचते हैं। टूटी चीजें भी अपनी खासियत के साथ खूबसूरत रचना कर सकती हैं।”
बिट्टू को आशा की बात समझ में आ गई। उसने टूटी क्रेयॉन से सूरज, बादल, पहाड़ और नदी बनाई। उसकी तस्वीर कुछ अलग थी, लेकिन फिर भी वह बहुत ही सुंदर लग रही थी।
इस घटना से बिट्टू ने सीखा कि हर चीज में, चाहे वह टूटी हो या अधूरी, अपनी खूबसूरती होती है। उसने यह भी सीखा कि कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और अपनी रचनात्मकता का उपयोग करके कुछ नया और खास बनाने का प्रयास करना चाहिए।
सीख: यह कहानी हमें सिखाती है कि असफलता या कमी हमें कभी नहीं रोकनी चाहिए। बल्कि हमें अपनी रचनात्मकता का उपयोग करके समस्याओं का समाधान ढूंढना चाहिए और अपनी क्षमता के अनुसार कुछ नया और बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए।