You Must Grow
India Must Grow

NATIONAL THOUGHTS

A Web Portal Of Positive Journalism 

motivational story : हाथी और चतुर खरगोश

Share This Post

चतुर्दन्त नाम का एक विशाल हाथी अपने झुंड का मुखिया था. एक बार अकाल के कारण जब सब तालाब सूख गये तो हाथियों ने मिलकर उससे कहा कि प्राण रक्षा के लिए उन्हें किसी बड़े तालाब की ओर चलना चाहिए. इस पर उसने एक हमेशा पानी से भरे रहने वाले तालाब के बारे में बताया और सबको वहीं चलने के लिए कहा. एक बेहद लम्बे सफ़र के बाद जब वो वहाँ पहुँचे तो देखा कि तालाब पानी से भरा था. उन्होंने दिन भर पानी में खेल किए.

उस तालाब के चारों तरफ़ खरगोशों के बिल थे जिससे ज़मीन पोली हो गई थी और हाथियों के चलने से वह बिल टूट गए. इसमें कई खरगोश कुचले गये और कुछ मर भी गये.

हाथियों के जाने के बाद बचे हुए चोटिल खरगोशों ने एक बैठक की और सोचा कि आस-पास कोई और तालाब न होने के कारण हाथी अब रोज़ यहीं आएँगे जिससे जल्दी ही सब खरगोशों का खात्मा हो जाएगा.

एक ने कहा अब हमें इस जगह को छोड़ देना चाहिए ताकि जान बच सके. लेकिन बाकियों से कहा “हम अपने पूर्वजों के स्थान को नहीं छोड़ सकते”

ऐसे में उन्होंने एक उपाय सोचा कि एक चतुर दूत को हाथियों के मुखिया के पास भेजकर ये कहा जाए कि यह तालाब चाँद का है और वहाँ बैठा खरगोश यह नहीं चाहता कि हाथी इस तालाब में आएँ. इसके बाद लम्बकर्ण नाम के खरगोश को दूत बनाकर भेजा गया जो तालाब के समीप एक ऊँचे टीले पर बैठ गया. जब हाथियों का झुण्ड वहाँ से गुज़रा तो उसने वही बात दोहराई.

हाथियों के मुखिया के पूछने पर उसने कहा मैं चाँद में रहता हूँ और चन्द्र भगवान के कहने पर तुम्हें ये बताने आया हूँ. मुखिया ने फिर पूछा कि चन्द्र भगवान इस समय कहाँ है?”

लम्बकर्ण ने कहा वह इस समय वह तालाब में ही हैं. कल तुम्हारे पैरों से खरगोशों के बिल टूट गए और उनकी प्रार्थना सुनकर वो यहाँ आये हैं और मुझे ये संदेश ले कर भेजा है. हाथी ने फिर कहा “तुम मुझे उनके दर्शन करा दो तो मैं अपने दल के साथ वापस चला जाऊँगा.

लम्बकर्ण हाथियों के मुखिया को तालाब के किनारे ले गया और पानी में चाँद की छाया दिखाई. मुखिया को उसकी बात पर यक़ीन हो गया और उस के बाद कभी हाथियों का झुंड उस तालाब पर नहीं आया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *