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आज मैं आपको निस्वार्थ भाव से किये गए काम से हमे जो फल मिलता है उसके बारे में बताऊंगी लेकिन क्या हो अगर मैं इस काम को आपको एक कहानी के माध्यम से समझाऊ क्योंकि इससे ये हमेशा आपको याद रहेगा तो चलिए इस कहानी को शुरू करते है :
लेकिन पेंटर ने पूछा कि बताओ तो सही आखिर किस बात का इनाम आप मुझे दे रहे हो मैं तो एक मामूली पेंटर हूं तो व्यापारी जवाब देता है कि तुम मेरे बच्चो के जीवन रक्षक हो क्योंकि जब मैने तुम्हे नावे दिखाई थी तो उनमें से एक नाव में एक छेद था जिसको तुमने निस्वार्थ भाव से भर दिया जबकि देखा जाए तो वो आपका काम है ही नहीं है ।अगर तुम उस छेद को नहीं भरते तो शायद आज मेरे बच्चो के साथ कोई बुरी घटना हो सकती थी इसलिए तुमने जिस निःस्वार्थ भाव से मेरी मदद की है उसके लिए मैं आपका ऋणी हूँ। मैने तो चन्द पैसे देकर आपकी मदद की है ताकि मेरे दिल को खुशी मिले जबकि तुमने मेरे लिए जो काम किया है उसकी कोई कीमत ही नही है।
मछली का एक व्यापारी नदी के किनारे ही अपने खूबसूरत घर मे रहा करता था उसके 2 प्यारे से बच्चे थे। यह छोटा सा परिवार प्यार से अपनी मस्ती में रहा करता था और बच्चे नदी की खूबसूरती का भरपूर मजा लिया करते थे।
एक दिन व्यापारी ने सोचा कि मेरी नावे ज्यादा ही पुरानी दिखाई देती है क्यों ना इनके ऊपर रंगरोगन करा लिया जाए और इनकी कुछ मरम्मत भी करा दी जाए ताकि इनकी सुंदरता भी बढ़ जाये। अगले दिन सबसे पहले उसने एक पेंटर को बुलाया और अपनी दो नावे उसको बता दी।
पेंटर ने भी समय खराब ना करते हुए जल्दी से जल्दी अपना काम शुरू कर दिया । शाम होते होते जब बच्चे घर नही आये
तो उनकी माँ की व्याकुलता काफी बढ़ चुकी थी और व्यापारी पिता के भी पसीने छूट रहे थे उसने भी समय खराब ना करते हुए उनको ढूढ़ने की कोशिश शुरू कर दी।और वो अपनी व्यक्तिगत नाव को लेकर नदी की तरह चल पड़ा लेकिन कुछ दूर उसको एक नाव आती दिखी तो उसने राहत की सांस ली जैसे ही नजदीक आये तो व्यापारी ने उनको गले से लगा लिया। अब बच्चे उनकी माँ के पास चले गए ताकि उनको भी तसल्ली मिल सके।
तो उनकी माँ की व्याकुलता काफी बढ़ चुकी थी और व्यापारी पिता के भी पसीने छूट रहे थे उसने भी समय खराब ना करते हुए उनको ढूढ़ने की कोशिश शुरू कर दी।और वो अपनी व्यक्तिगत नाव को लेकर नदी की तरह चल पड़ा लेकिन कुछ दूर उसको एक नाव आती दिखी तो उसने राहत की सांस ली जैसे ही नजदीक आये तो व्यापारी ने उनको गले से लगा लिया। अब बच्चे उनकी माँ के पास चले गए ताकि उनको भी तसल्ली मिल सके।
जब व्यापारी पेंटर के पास गया तो उसको बोला कि अब तक काम पूरा नहीं हुआ पेंटर ने कुछ देर में अपना काम खत्म कर दिया। अब व्यापारी उसको पूछता है कि आपकी मजदूरी कितनी हुई । पेंटर ने जवाब दिया कि 500 रुपये लेकिन व्यापारी जब सभी के सामने ये घोषणा करता है कि तुम्हारा काम एक लाख रुपये का है और उसके हाथ मे एक लाख रुपये थमा दिए।
लेकिन पेंटर ने पूछा कि बताओ तो सही आखिर किस बात का इनाम आप मुझे दे रहे हो मैं तो एक मामूली पेंटर हूं तो व्यापारी जवाब देता है कि तुम मेरे बच्चो के जीवन रक्षक हो क्योंकि जब मैने तुम्हे नावे दिखाई थी तो उनमें से एक नाव में एक छेद था जिसको तुमने निस्वार्थ भाव से भर दिया जबकि देखा जाए तो वो आपका काम है ही नहीं है ।अगर तुम उस छेद को नहीं भरते तो शायद आज मेरे बच्चो के साथ कोई बुरी घटना हो सकती थी इसलिए तुमने जिस निःस्वार्थ भाव से मेरी मदद की है उसके लिए मैं आपका ऋणी हूँ। मैने तो चन्द पैसे देकर आपकी मदद की है ताकि मेरे दिल को खुशी मिले जबकि तुमने मेरे लिए जो काम किया है उसकी कोई कीमत ही नही है।
पेंटर नम आंखों से विदा लेता है।
तो आप सभी ने देखा किस तरह हमे बिना स्वार्थ के किये गए काम का अच्छा परिणाम मिलता है। अगर हम भी जीवन मे बिना स्वार्थ के लोगो की मदद करते रहेंगे तो हम भी लोगो के जीवन मे और दिलो में जगह बना पाएंगे और अगर आप किसी की जान बचाते हो तो इसका ऋण तो कोई भी जीवन भर नहीं चुका सकता है ।
नोट : आशा करता हूं आपको ये कहानी बहुत अच्छी लगी होगी,अगर आपके कोई विचार हो तो हमे जरूर बताएं।