एक घने जंगल में एक छोटी सी चिड़िया रहती थी। वह बहुत महत्वाकांक्षी थी और हमेशा ऊंचाइयों को छूने का सपना देखती थी। जंगल के बीचो बीच एक विशाल पहाड़ खड़ा था, जिसे छूने का सपना जंगल के किसी भी पक्षी ने नहीं देखा था।
एक दिन चिड़िया ने फैसला किया कि वह उस पहाड़ की चोटी को छूकर रहेगी। जंगल के दूसरे पक्षी उसे हंसने लगे. उन्होंने कहा, “यह तो एक मूर्खतापूर्ण सपना है. इतना बड़ा पहाड़ कोई छोटी सी चिड़िया कैसे बढ़ सकती है?”
लेकिन चिड़िया ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। उसने दृढ़ निश्चय किया और हर सुबह उठकर पहाड़ की चढ़ाई शुरू कर दी. रास्ते में कई मुश्किलें आयीं. तेज हवाएं उसे उठाकर ले जाना चाहती थीं, बारिश उसे रोक लेती थी, और कभी कभी कमजोरी उसे जमीन पर गिरा देती थी. लेकिन हर बार वह हिम्मत जुटाकर फिर से उड़ने लगती थी.
दिन बीतते गए, हफ्ते बदलते गए और महीने निकलते गए. धीरे-धीरे चिड़िया मजबूत होती गई और उसने पहाड़ की आधी चढ़ाई पार कर ली. दूसरे पक्षी देखकर दंग रह गए. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यह छोटी चिड़िया इतनी दूर तक जा सकती है.
चिड़िया रुकी नहीं. और मेहनत करती रही. आखिरकार एक दिन वह पहाड़ की चोटी पर पहुंच गई. उसने खुशी से नाचते हुए पूरे जंगल को देखा. उसने कर दिया था कि हौसला और मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.
इस कहानी से सीख मिलती है कि सपने चाहे कितने भी बड़े हों, उन्हें हासिल किया जा सकता है, अगर हमारे पास दृढ़ निश्चय और लगातार मेहनत करने की शक्ति हो.