बहुत समय पहले की बात है, जब महात्मा बुद्ध एक गांव से होकर गुजर रहे थे, उस गांव में एक तालाब था। महात्मा बुद्ध और उनके सभी शिष्य तालाब के पास आ कर रुक गए, तभी वहां एक लड़का अपनी मां के साथ पानी भरने आया।
उस लड़के की नजर महात्मा बुद्ध पर पड़ी, वह महात्मा बुद्ध को पहले से ही जानता था। वह जानता था कि महात्मा बुद्ध बहुत ज्ञानी हैं और वे सभी के प्रश्नों का उत्तर देते हैं, सभी के समस्याओं का समाधान भी बताते हैं।
वह उनके पास गया और बोला, “मैं बहुत बड़ा कुछ करना चाहता हूँ, लेकिन जब मैं कुछ करने का प्रयास करता हूँ, तो मैं उस कार्य को पूरा नहीं कर पाता हूँ। मुझे समझ नहीं आता है कि मैं कहाँ गलती कर रहा हूँ। इसलिए मैं आपसे यह प्रश्न पूछना चाहता हूँ कि लक्ष्य को प्राप्त करते समय ऐसी कौन सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं? जिसको पार करने के बाद ही कोई व्यक्ति सफल हो सकता हैं?”
महात्मा बुद्ध उस लड़के की ओर मुस्कुराते हुए देख कर बोले, “जब तक तुम अपने लक्ष्य की ओर कदम नही बढ़ाते हो, तब तक सफलता से जुड़ा हर प्रश्न, हर उत्तर अधूरा है।” महात्मा बुद्ध ने इस उपदेश को समाप्त कर अपने सभी शिष्यों के साथ आगे की यात्रा जारी रखी। उस लड़के ने भी अपनी माँ के साथ घर लौटने का निर्णय किया और घर वापस आ गया।
अगले दिन जब वह लड़का अपनी माँ के साथ वापस तालाब पर पानी भरने आया, तो उसने देखा कि कल तालाब में जो कमल की केवल कलियाँ थीं, वे आज पूरी तरह से खिल चुकी थीं। उसकी माँ को इस पर यकीन नहीं हो रहा था। उसने अपनी माँ से कहा, “बे-मौसम, इतने सारे फूल का एक साथ खिलना, ऐसी घटना तो मैंने आज तक नहीं देखी। यह सब महात्मा बुद्ध के यहां आने के कारण हुआ है, अर्थात यह उनका ही प्रभाव है।” उस समय वह लड़का सोचने में खो गया।
उसने तुरंत ही तालाब से एक कमल का फूल तोड़ा और मन में यह सोचना शुरू किया कि यदि तालाब की यह खूबसूरती महात्मा बुद्ध के प्रभाव के कारण है, तो मुझे महात्मा बुद्ध से जरूर मिलना चाहिए। शायद वह मुझे कुछ सीखने के लिए संकेत देना चाह रहें हैं। सोचते-सोचते, उसने तय कर लिया कि वह महात्मा बुद्ध से जरूर मिलेगा, और महात्मा बुद्ध की वो आवाज मन में गूंज रही थी: “तुम लक्ष्य की ओर कदम नहीं बढ़ाओगे तब तक सफलता से जुड़ा हर प्रश्न, हर उत्तर, अधूरा है।”
तब उस लड़के ने कमल का फूल एक मटके में रख लिया और उसने यह निश्चय किया कि वह महात्मा बुद्ध से मिलकर ही रहेगा। उसके मन में जो भी प्रश्न थे, उनके उत्तर जानने का उसने निश्चय किया।
उस लड़के ने तुरंत ही अपनी मां से कहा, “मैं महात्मा बुद्ध से मिलने जा रहा हूं। वे बहुत आगे तक नहीं गए होंगे। अगर मैं जल्दी-जल्दी चलूं, तो एक दिन में ही मैं उन तक पहुंच जाऊंगा और एक-दो दिन में मिलकर घर वापस आ जाऊंगा।”
उसकी मां ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन वह लड़का नहीं माना और तुरंत ही सफर की तरफ निकल पड़ा।
वह मार्ग पर बहुत ही तेजी से चल रहा था। बहुत कम समय में ही उसने अपने गांव को पार कर लिया। चलते-चलते उसकी थकान बढ़ रही थी, जिससे उसकी रफ्तार कम होने लगी थी। लेकिन उसने हार नहीं मानी, धीरे-धीरे चलता रहा और चलते-चलते जंगल में पहुंच गया।
जंगल को देखकर उसके मन में डर उत्पन्न हुआ। उसने सोचा कि मैंने आज तक जंगल पार नहीं किया है और इस जंगल में कई जंगली जानवर भी हैं। यदि मैं रास्ता भटक गया तो मैं महात्मा बुद्ध तक कभी नहीं पहुंच पाऊंगा। और यदि मैं किसी गलत रास्ते पर चला गया तो मुझे कम से कम दो दिन और लगेंगे। महात्मा बुद्ध तक पहुंचने के लिए, और यदि वह मुझसे बहुत आगे निकल जाते हैं तो मुझे बाकी रास्ते भी पता नहीं चल पायेंगे, और फिर मैं उनसे कभी नहीं मिल पाऊंगा। वह लड़का इसी सोच-विचार में डूबा हुआ था, तभी उसने देखा कि उसी रास्ते से एक घोड़े की सवारी आ रही थी।
लड़के ने उस घुड़सवार से कहा, “क्या तुम मुझे जंगल पार करवा दोगे। मुझे महात्मा बुद्ध से मिलना है और मुझे ये कमल उन्हें देना है।” इस पर घुड़सवार ने कहा, “मैं आपको जंगल पार नहीं करवा सकता, लेकिन मैं आपकी मदद कर सकता हूँ। यह कमल वाला मटका मैं महात्मा बुद्ध तक पहुंचा सकता हूँ।”
उस लड़के ने फिर सोचा और विचार किया, “यदि मैं पैदल चलूं, तो बहुत समय लगेगा और शायद मैं महात्मा बुद्ध से मिल न पाऊं। लेकिन यदि मैं इस मटके को घुड़सवार को दे दूं, तो वह बहुत जल्दी महात्मा बुद्ध तक पहुंचा देगा। इससे मेरा काम आसान हो जाएगा और मैं जो मन में चाहता हूँ वो भी पूरा हो जायेगा।”
काफी समय सोच-विचार करने के बाद, वह निर्णय लिया कि वह मटके वाला कमल घुड़सवार को दे देगा। वह उस मटके को उस घुड़सवार के हाथों सौंपने ही वाला था की तभी उसे याद आया कि इस कमल को महात्मा बुद्ध तक पहुंचाने के पीछे उसका क्या उद्देश्य था। वह किस उद्देश्य से यह कमल महात्मा बुद्ध के पास ले जा रहा है।
तभी उसके मन में एक और विचार आया कि अगर मैं यह मटका वाला कमल लेकर महात्मा बुद्ध तक नहीं पहुंचा, तो मेरे प्रश्नों का उत्तर मुझे कैसे मिलेगा, और हो सकता है कि मेरे जीवन में यह एक ही मौका है जिससे मैं महात्मा बुद्ध से मिल सकता हूं और अपने सभी प्रश्नों के उत्तर जान सकता हूं। यह सोचकर उसने निर्णय लिया कि वह यह मटका नहीं देगा।
मैं इसे खुद ही उन तक पहुंचाऊंगा। काफी कुछ सोचने के बाद, वह घुड़सवार से कहता है, “मैं यह मटका खुद ही उन तक पहुंचाना चाहता हूं। क्योंकि उनसे मिलना मेरे लिए बहुत जरुरी है। मेरे मन में कई प्रश्न हैं जिनके उत्तर मुझे उनसे जानना है। इसलिए मैं यह मटका खुद ही उन तक ले जाऊंगा।”
उस घुड़सवार ने भी उसके विचार को समझा और उसने लड़के से कहा, “तुम्हारी बात सही है। मैं तुम्हारे साथ चलता हूँ।” उसने अपने घोड़े की सवारी पर उस लड़के को महात्मा बुद्ध के पास ले गया।
जब महात्मा बुद्ध ने उस लड़के को देखा तो उन्होंने उसकी आँखों में उसके मन की हालत को देख लिया था। महात्मा बुद्ध ने उस लड़के से पूछा, “तुम किसी खास काम के लिए यहाँ पहुंचे हो?” उसने उस मटके को देखा और फिर वह घुड़सवार से पूछा, “यह कमल तुम्हारे पास क्यों है?” तब घुड़सवार ने महात्मा बुद्ध से कहा, “भगवान, मैंने इस कमल को उस लड़के से लेकर आया हूँ।” उसने उस लड़के को देखते हुए कहा, “भगवान, यह लड़का तुम्हें मिलने आया है।” उसने फिर महात्मा बुद्ध को उस लड़के के साथ ही मटके वाला कमल सौंपा।
महात्मा बुद्ध ने उस मटके को देखा और फिर वह लड़के को पूछा, “तुम इस कमल को कहाँ से लाए हो?” तब वह लड़का महात्मा बुद्ध को सच्चाई बताने लगा। वह उन्हें सब कुछ सच्चाई बताते हुए रोने लगा। उसने कहा, “मुझे समझ नहीं आता है कि मैंने क्या गलती की है। मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन मैं सफल नहीं हो पाया। मुझे लगता है कि मुझे आपके सही मार्गदर्शन की ज़रुरत है।”
महात्मा बुद्ध ने उस लड़के का हाथ पकड़ा और उसके मुख में एक हल्की मुस्कान लिए कहा, “जो लोग लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाते हैं, उन्हें अपनी मनचाही सफलता नहीं मिलती है, उन्हें अपने स्वप्न का सच कामयाबी के रूप में पाने में बहुत समय लग जाता है। लेकिन वह लोग जो समस्याओं का सामना करते हैं, उन्हें उन समस्याओं का समाधान खोजने का समय लगता है, उन्हें वास्तविक सफलता मिलती है।”
समर्पण, संघर्ष और ध्यान – ये तीन गुण हमें जीवन में सफलता की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करते हैं। हमारे लक्ष्य को समझना, समर्पित रहना और हमेशा आंखों के सामने रखना हमारे उस मार्ग को प्रशस्त करता है जो हमें सफलता की ओर ले जाता है।