महिला के मन की बात को एक चोर समझ गया। वो रोज महिला का पीछा करने लगा। एक दिन उसने किसान की पत्नी को ठगने के विचार से उसे एक झूठी कहानी सुनाई। चोर ने कहा, “सालों पहले मेरी पत्नी मुझे छोड़कर चली गई थी। अब मैं अकेला हूं। मैं तुम्हारी सुंदरता पर मोहित हो गया हूं और तुम्हें अपने साथ शहर ले जाना चाहता हूं।”
स्त्री यह सुनते ही खुश हो गई। वो फटाफट बोली, “ठीक है मैं तुम्हारे साथ चलूंगी, लेकिन मेरे पति के पास बहुत धन है। पहले मैं उसे ले आती हूं। उन पैसों से हम जीवन भर आराम से रहेंगे।” यह सुनकर चोर ने कहा कि ठीक है तुम जाओ और लौटकर इसी जगह आना मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा।
स्त्री घर पहुंची, तो देखा कि पति गहरी नींद में था। महिला ने सारे जेवर और नकदी को पोटली में बांधा और चोर के पास चली गई। किसान की पत्नी को आते देखकर चोर के मन में हुआ, अब मैं बहुत जल्दी धनवान बनने वाला हूं। बस अब इस महिला से पीछा छुड़ाने की तरकीब निकालनी होगी।
तभी किसान की पत्नी चोर के पास पहुंची। उसके पहुंचते ही दोनों दूसरे शहर की ओर निकल गए। कुछ दूर चलने के बाद रास्ते में एक नदी मिली। नदी को देखते ही चोर को एक तरकीब सूझी गई। वह महिला से बोला, “देखो, नदी गहरी है। इसे मैं तुम्हें पार कर दूंगा, लेकिन पहले मैं यह पोटली नदी के उस पार रखूंगा फिर तुम्हें साथ ले जाऊंगा।”
स्त्री को चोर पर पूरा विश्वास था उसने कहा, “हां, ऐसा करना ठीक रहेगा।” फिर चोर ने कहा, “देखो, तुमने भारी जेवर पहने हैं। ये जेवर भी तुम मुझे दे दो, ताकि तुम्हें नदी पार करने में कोई बाधा न हो।” यह सुनते ही किसान की पत्नी ने अपने सारे जेवर चोर को दे दिए।
पोटली में बंधा धन और महिला के जेवर लेकर चोर नदी के पार चला गया। महिला उसके लौटने का इंतजार करती रही, लेकिन वो फिर कभी लौट कर नहीं आया। अब महिला को बहुत दुख हुआ और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे, लेकिन पछतावे के लिए तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसका सारा पैसा और जेवर लेकर चोर जा चुका था।
कहानी की सीख :
धोखेबाजी का फल हमेशा बुरा ही होता है। व्यक्ति जैसा बोता है, वैसा ही काटता है। इसलिए, कहा जाता है कि हमेशा हर रिश्ते में ईमानदारी दिखानी चाहिए।