You Must Grow
India Must Grow

NATIONAL THOUGHTS

A Web Portal Of Positive Journalism 

Motivational Story: पिनोकियो

Share This Post

सालों पहले एक शहर में लकड़ी का सामान बनाने वाला कारपेंटर रहता था, जिसका नाम एंटोनियो था। वो हरदम लकड़ियों से एक-से-बढ़कर एक चीज बनाता था। एक दिन वो यूं ही घूमते हुए जंगल चला गया, वहां उसे एक लकड़ी का टुकड़ा मिला। उसे वो अपने साथ घर ले आया।

घर पहुंचकर उसके मन में उस लकड़ी से एक टेबल बनाने का ख्याल आया। उसने तुरंत सभी सामान का इंतजाम किया और टेबल बनाने लग गया। जैसे ही उसने टेबल का एक पैर बनाया, तो उसके चिल्लाने की आवाज आई। डर के मारे एंटोनियो ने उस टेबल का पैर और पूरी लकड़ी जेपैटो नाम के एक गरीब इंसान को दे दी।

गरीब जेपैटो ने उस टेबल से बोलने वाली कठपुतली बनाने की सोची, ताकि उससे वो खूब सारा पैसा कमा सके। कठपुतली बनाने के बाद जेपैटो ने उसका नाम पिनोकियो रखा। पिनोकियो बड़ा ही शरारती था और पैसे को हमेशा से ही शांत व तमीज से पेश आने वाले बच्चे पसंद थे।

फोटो ने जब पिनोकियो के दोनों पैर बना दिए, तो उसे चलना सिखाया। चलना सीखते ही पिनोकियो दरवाजा तोड़कर बाहर भाग गया। रास्ते में इस तरह पिनोकियो को उछल-कूद और तोड़फोड़ करता देख पुलिस वाले को लगा कि बच्चे को पैटो ने अच्छी सीख नहीं दी है और घर में कैद करके रखा था। इसी वजह से पुलिस ने जेपैटो को गिरफ्तार कर लिया।

अब भूख लगने के बाद पिनोकियो घर वापस लौटा, लेकिन वहां पैटो था नहीं, इसलिए पड़ोसी के घर की घंटी पिनोकियो बजाता रहा। घर की घंटी को बार-बार बजता हुआ सुनकर पड़ोसी ने पिनोकियो के मुंह पर ठंडा पानी मार दिया।

भूखा पिनोकियो उससे खाना ही नहीं मांग पाया और भीगा हुआ घर वापस लौट गया। भीगने की वजह से पिनोकियो स्टोव के ऊपर बैठ गया। जैसे ही वो सुबह उठा तो वो सूख गया था, लेकिन उसका एक पैर पूरी तरह जल गया।

सुबह तक जेपैटो भी घर लौट आया। उसने जैसे ही पिनोकियो को इस हालत में देखा, तो जल्दी से लकड़ी से उसका एक पैर तैयार कर दिया। खुश होकर पिनोकियो ने अच्छा बच्चा बनकर रहने और स्कूल जाने की बात जेपैटो से कही।

यह सुनकर जेपैटो सोच में पड़ गया कि वह उसे स्कूल कैसे भेजे, उसके पास तो इतने पैसे नहीं थे। तभी वह तुरंत बाजार गया और अपना कोट बेचकर कुछ पैसे ले आया। जेपैटो ने सारे पैसे पिनोकियो को दिए और कहा, ‘ये पैसे लो और कल से तुम भी स्कूल चले जाना।’

तभी वह तुरंत बाजार गया और अपना कोट बेचकर पिनोकियो के लिए किताब ले आया। किताब देख कर पिनोकियो ने कहा, ‘पापा आपने मुझे स्कूल भेजने के लिए अपना कोट बेच दिया।’ इसपर जेपैटो ने कहा, ‘बेटा तुम मेरी फिक्र मत करो और स्कूल जाने की तैयारी करो।’ पिनोकियो अपने पापा की बात से सहमत हुआ और कहा, ‘ठीक है पापा, मैं रोजाना स्कूल जाऊंगा और आपका नाम रोशन करूंगा।’

पिनोकियो अगले दिन सुबह-सुबह उठकर तैयार हो गया और स्कूल के लिए निकल पड़ा। रास्ते में उसने एक जगह लोगों की काफी भीड़ देखी। वह दौड़ा-दौड़ा वहां पहुंचा और भीड़ में खड़े एक आदमी से पूछा, ‘यहां क्या हो रहा है?’ उस आदमी ने कहा, ‘यहां एक पपेट शो चल रहा है।’ इस पर पिनोकियो ने कहा, ‘अरे वाह! पपेट शो। मझे भी ये पपेट शो देखना है, लेकिन मेरे पास तो पैसे ही नहीं हैं। क्या करूं?’

तभी पिनोकियो को एक तरकीब सूझी वह तुरंत एक रद्दी वाले के पास गया और अपनी किताब बेचकर कुछ पैसे ले आया। फिर उसने उन पैसों से पपेट शो की टिकट खरीद ली और शो देखने चला गया। शो में पहुंचकर पिनोकियो ने बहुत सारे पपेट देखे। उन्हें देखकर पिनोकियो ने सर्कस के स्टेज पर चढ़कर डांस करना शुरू कर दिया।

उसी समय पपेट मास्टर वहां आ गया। जैसे ही शो खत्म हुआ पपेट मास्टर अपने साथ पिनोकियो सहित सारे पपेट को लेकर घर की ओर निकल पड़ा। कुछ देर बाद पिनोकियो ने सर्कस के स्टेज पर चढ़कर डांस करना शुरू कर दिया। तभी सर्कस के मालिक की नजर उस पर पड़ी। उसने पिनोकियो को देखकर सोचा कि अगर इसे वह अपनी सर्कस टीम में शामिल कर लेता है, तो उसकी अच्छी कमाई होगी। यह सोचकर उसने तुरंत पिनोकियो को कैद कर लिया।

घर पहुंचकर पपेट मास्टर को खाना बनाने के लिए कुछ लकड़ियों की आवश्यकता पड़ी। उसने सोचा क्यों ने पिनोकियो को इसके लिए इस्तेमाल किया जाए। उसने पिनोकियो से कहा, ‘सुनो! मुझे खाना बनाने के लिए कुछ लकड़ियां चाहिए।’ यह सुनकर पिनोकियो डर गया। उसने कहा, ‘नहीं, मुझे मत जलाओ।’ वह अपने पापा को याद करने लगा, ‘पापा, मुझे बचाओ।’

पिनोकियो के मुंह से पापा शब्द सुनकर पपेट मास्टर को आश्चर्य हुआ। उसने पिनोकियो से पूछा, ‘क्या तुम्हारे पापा भी हैं?’ पिनोकियो ने कहा, ‘हां और वो बहुत अच्छे हैं।’ पिनोकियो ने अपनी पूरी कहानी पपेट मास्टर को बताई। कहानी सुनकर पपेट मास्टर से पिनोकियो से कहा, ‘तुम एक अच्छे बच्चे हो। ये लो कुछ सोने के सिक्के और अपने पापा के लिए कोट खरीद लेना।’

पपेट मास्टर से सोने के सिक्के लेकर पिनोकियो अपने घर की ओर निकल पड़ा। रास्ते में उसे एक बिल्ली और लोमड़ी मिली। पिनोकियो ने उन्हें सिक्कों के बारे में सब कुछ बता दिया। यह सुनकर बिल्ली और लोमड़ी ने पिनोकियो को लूटने का प्लान बनाया। लोमड़ी ने बिल्ली से कहा, ‘मैडम बिल्ली, आप इस पिनोकियो को पैसों के पेड़ के बारे में बताइए।’ बिल्ली ने कहा, ‘ठीक है! बताती हूं, लेकिन यह एक राज है, जो हम किसी को नहीं बताते हैं।’ इस पर लोमड़ी ने कहा, ‘चलो पहले हम अपनी नई दोस्ती का जश्न मनाते हैं।’

लोमड़ी और बिल्ली पिनोकियो को लेकर एक होटल में गए। वहां उन्होंने खाना खाया और जल्दी निकल गए। इस कारण होटल का बिल पिनोकियो को भरना पड़ा। होटल का बिल भरकर पिनोकियो जैसे ही बाहर निकला कि उसे एक आवाज सुनाई दी, रुक जाओ! पैसे दे दो वरना मारे जाओगे। पिनोकियो समझ गया कि यह बिल्ली और लोमड़ी की हरकत है।

पिनोकियो ने जल्दी से अपने बचे पैसे छिपा लिए। इसके बाद भी बिल्ली और लोमड़ी ने पिनोकियो को एक पेड़ से लटका दिया और कहा, ‘अगर सही सलामत बचना चाहते हो तो सिक्के दे दो।’ उसने एक बार फिर से अपने पापा को याद किया। तभी एक परी ने पिनोकियो की आवाज सुनी। उसने एक गिद्ध और कुत्ते को पिनोकियो को बचाने के लिए भेजा।

गिद्ध ने जल्दी से पिनोकियो की रस्सी काटी। फिर कुत्ते ने पिनोकियो को वहां से उठाकर परी के पास पहुंचा दिया। अगले दिन सुबह जब पिनोकियो की नींद खुली तो परी ने उससे पूछा कि वह यहां कैसे पहुंचा। इस पर पिनोकियो ने अपनी कहानी परी को सुनाई, लेकिन इस दौरान उसने एक झूठ बोला कि उसके सिक्के चोरी हो गए, जबकि सिक्के उसी के पास थे।

पिनोकियो के झूठ बोलते ही उसकी नाक लंबी होती चली गई। परी समझ गई कि पिनोकियो झूठ बोल रहा है। उसने कहा, ‘पिनोकियो झूठ मत बोलो। मैं देख सकती हूं कि तुम्हारी नाक लंबी हो रही है।’ पिनोकियो ने तुरंत परी से माफी मांगी और कहा कि वो दोबारा ऐसा नहीं करेगा। इसके बाद परी ने पिनोकियो को कुछ सिक्के दिए और कहा कि ये अपने पापा को दे देना।

वहां से सिक्के लेकर पिनोकियो एक बार फिर अपने घर की ओर चला। तभी उसे रास्ते में फिर से वही बिल्ली और लोमड़ी मिले। उन्होंने एक बार फिर से पिनोकियो को सिक्कों के पेड़ उगाने के लिए मना लिया और उसके सिक्के चोरी कर के वहां से भाग गए। इसके बाद पिनोकियो मायूस होकर खाली हाथ अपने घर पहुंचा।

यहां उसने अपने पापा से कहा, ‘मुझे माफ कर दीजिए। मैं दूसरों के बहकावे में आ गया था।’ फोटो ने पिनोकियो को माफ कर दिया और उसे अगले दिन स्कूल भेजा। स्कूल जाते समय रास्ते में पिनोकियो को स्कूल का सबसे शरारती बच्चा कार्लोस मिला। उसने कहा, ‘हे पिनोकियो! तुम कहां जा रहे हो। स्कूल जाकर तुम समय बर्बाद मत करो। हमारे साथ टॉय लैंड चलो। वहां बहुत मजा आने वाला है।’

पिनोकियो इस बार कार्लोस की बातों में आ गया और उसके साथ चल पड़ा। रास्ते में उन्हें गधा गाड़ी मिली और वो उस पर सवार हो गए। कुछ दूर जाने के बाद दोनों अचानक से गधे के रूप में आ गए। दोनों गधे के रूप में ही बाजार पहुंचे। वहां एक किसान ने कार्लोस को खरीद लिया, जबकि एक सर्कस के मालिक ने पिनोकियो को खरीदा।

अब पिनोकियो को रोजाना सर्कस में अपना करतब दिखाना होता था। एक दिन करतब दिखाते-दिखाते पिनोकियो स्टेज से गिर गया और उसका पैर टूट गया। इस कारण उसे सर्कस से भी निकाल दिया। तभी एक दिन एक बूढ़ा आदमी उसे खरीदने के लिए पहुंचा। वह पिनोकियो की खाल से ढोलक बजाना चाहता था। उस बूढ़े आदमी ने पिनोकियो को एक बड़े से पत्थर से बांधा और समुद्र में फेंक दिया।

समुद्र में जाने के बाद पिनोकियो जोर-जोर से रोते हुए उस परी को याद करने लगा। पिनोकियो ने कहा, ‘परी मुझे बचा लो। आज के बाद मैं कभी भी ऐसी बेवकूफी नहीं करेंगे, सच्ची।’ पिनोकियो की आवाज परी के कानों तक पहुंची। उसने तुरंत एक मछली को आदेश दिया कि समुद्र में जाकर पिनोकियो को बचा लो।

मछली तुरंत पिनोकियो के पास पहुंची और रस्सी काटकर उसकी गधे वाली खाल खा ली। इसके बाद पिनोकियो वापस से अपने कठपुतली रूप में आ गया। इसके बाद पिनोकियो जैसे-तैसे तैरते हुए समुद्र से निकलने की कोशिश करने लगा। तभी एक बड़ी-सी शार्क उसके पीछे आ गई और लहरों की तेज चपेट के कारण पिनोकियो शार्क के मुंह में जा पहुंचा। शार्क के मुंह में काफी अंधेरा था। यह देख पिनोकियो घबरा गया। उसने आवाज लगाई, ‘कोई है? मेरी मदद करो।’

तभी पिनोकियो को एक रोशनी दिखाई दी। उसने देखा कि टॉर्च लेकर उसके पापा पैसे खड़े थे। पिनोकियो काफी खुश हुआ। फोटो भी पिनोकियो को देखकर बहुत खुश हुआ। उसने कहा, ‘ओह मेरे बच्चे! मुझे लगा नहीं था कि मैं तुम्हें दोबारा जिंदा देख पाऊंगा। तुम मुझे जमीन पर नहीं दिखे इसलिए मैं तुम्हें पानी में खोजने आ गया, लेकिन एक भयानक तूफान की वजह से मुझे एक शार्क ने खा लिया। इस पर पिनोकियो ने कहा, ‘ओ पापा! हम दोनों जिंदा हैं। चलो यहां से बाहर निकले की कोशिश करते हैं।’

पिनोकियो और उसके पापा, शार्क के मुंह से बाहर निकालने की कोशिश करने लगे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। तभी शार्क को नींद आने लगी और वह मुंह खोलकर सोने लगी। इस मौके का फायदा उठाकर पिनोकियो और पेट पानी में कूद गए और तैर कर बाहर निकल गए।

बाहर निकलने के बाद पिनोकियो ने देखा कि उसके पापा को तेज बुखार है। उसने अपने पापा को एक जगह बैठाया और उनके लिए कुछ खाने की तलाश में निकल पड़ा। तभी उसे एक दुकान दिखी। उसने दुकानदार से अपने पापा के लिए दूध मांगा। दुकानदार ने कहा, ‘पैसे दो और दूध ले जाओ।’

पिनोकियो के पास पैसे नहीं थे। इस पर दुकानदार ने कहा, ‘अगर तुम्हारे पास पैसे नहीं है तो तुम यहां सुबह से शाम काम करो और पापा के लिए दूध ले जाओ।’

पिनोकियो दुकानदार की शर्त मान गया और वहां काम करने लगा। कुछ दिन बाद पिनोकियो के पापा ठीक हो गए। फिर दोनों वहां से अपने घर की ओर निकल पड़े। अब पिनोकियो काफी बदल गया था और पापा के काम में हाथ बटाने लगा।

एक दिन उसे पता चला की परी की तबीयत खराब है। उसने तुरंत कुछ पैसे परी को भेजे। यह देखकर परी काफी खुश हो गई और एक रात वह पिनोकियो के सपने में आई और उसे वरदान दिया। अगली सुबह जब पिनोकियो ने खुद को शीशे में देखा तो आश्चर्यचकित रह गया।

उसने देखा कि उसका चेहरा पूरी तरह से बदल गया और वो अब कठपुतली से एक सुंदर लड़का बन गया। वह दौड़ा-दौड़ा अपने पापा के पास पहुंचा। पैसा भी पिनोकियो को देखकर काफी खुश हुआ। पिनोकियो और पैसा दोनों खुशी-खुशी रहने लगे।

कहानी से सीख

इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा बड़ों का कहना मानना चाहिए। ऐसा न करने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *