एक छोटे से गाँव में एक गरीब किसान रहता था। उसके पास बहुत कम जमीन थी, लेकिन मेहनत करने का जज्बा बहुत ज्यादा था। एक दिन, एक यात्री गाँव से गुज़रा और किसान से बातचीत करने लगा। यात्री ने किसान की मेहनत की तारीफ की और उसे एक उपहार दिया – एक छोटा सा बीज।
किसान को यह उपहार अजीब लगा, लेकिन यात्री के सम्मान में उसने उसे ले लिया। यात्री ने बताया कि यह कोई साधारण बीज नहीं है, इसकी देखभाल सही से की जाए तो इससे एक अद्भुत पेड़ उगेगा जो हर मौसम में फल देगा। किसान ने बीज को बहुत संभाल कर रखा और उसे अपनी सबसे अच्छी जमीन में लगा दिया।
हर रोज़ वह उस बीज की बड़ी सावधानी से देखभाल करता था। दिन बीतते गए, लेकिन बीज से कोई अंदर नहीं निकला। गांव के दूसरे किसान उसका मजाक उड़ाने लगे। उन्होंने कहा, “एक छोटे से बीज से क्या होगा? तू बेकार मेहनत कर रहा है।”
लेकिन किसान ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। वह अपनी उम्मीद बनाए रखा और बीज की देखभाल करता रहा। आखिरकार, एक सुबह, मिट्टी से एक छोटा सा अंकुर निकला। किसान बहुत खुश हुआ। उसने अंकुर की और भी ज्यादा देखभाल की।
धीरे-धीरे अंकुर एक पौधे में और फिर एक पेड़ में बदल गया। यह पेड़ वाकई अद्भुत था। जैसा कि यात्री ने बताया था, यह पेड़ हर मौसम में मीठे और रसीले फल देता था। गाँव के सभी लोग हैरान रह गए। किसान की मेहनत और दृढ़ विश्वास रंग लाए थे।
सीख
यह कहानी हमें सिखाती है कि सपने कितने भी छोटे क्यों न हों, उन्हें हासिल करने के लिए हिम्मत और मेहनत ज़रूरी है। रास्ते में आने वाली मुश्किलों और दूसरों की निराशा करने वाली बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। कभी भी हार नहीं माननी चाहिए, क्योंकि छोटे से बीज से भी बड़ा पेड़ उग सकता है।