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Motivational Story – समय बर्बाद करने का हजारो तरीका

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Motivational Story  – एक गांव में तीन लड़के रहते थे राम, श्याम और राजू तीनो के पिता काफी अमीर थे तीनो का बचपन बहुत अच्छे तरह से गुजरा था। उनके माता-पिता कभी भी उनकी कोई भी मांग को अनदेखा नहीं करते थे।

राम के पिता सरपंच थे, श्याम के पिता एक कारोबारी थे और राजू के पिता एक किसान जमींदार थे। छोटी उम्र से ही उन सबको लाड-प्यार ने ऐसा बना दिया था की ना तो उनको मेनहत का पता था और ना ही उनको समय की परवाह थी। अक्सर वह सारा दिन बस घूमते रहते थे बस घूमते रहते थे।

नशे और अन्य भोगविलास में डूबे रहते थे जिससे उनके गांव वाले भी दुखी थे। सरपंच और बड़े लोगो के बच्चे होने के कारण उनकी कोई शिकायत कर पाने की हिम्मत नहीं कर पाता था जिससे उनका मनोबल और बढ़ गया था।

एक दिन उनके गांव में बहुत तेज़ बारिश हुयी जिससे सब लोगो को नुक्सान हुआ जिसमे इन तीनो के पिता भी थे लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी उनके बेटो का वही हाल था वो बस घूमते रहते नशा करते भोगविलास करते रहते थे।

माँ-बाप काफी चिंतित रहा करते थे ये तीनो भले ही कितने गंदे थे लेकिन इन तीनो के अंदर एक खाश बात थी जिसकी पहचान किसी को नहीं थी और उनको खुद को भी पता नहीं था।

राम एक बहुत अच्छा नेता प्रतिपक्ष था क्योंकि अपने पिता के पास रहते हुए उसको इसका काफी ज्ञान हो गया था क्योंकि उसके पिता सरपंच थे। श्याम भी इस तरह से बिज़नेस की समझ रखता था क्योंकि उसके पिता एक कारोबारी थे और राजू खेती का काम जनता था क्योंकि उसके पिता जमींदार थे।

पर अपनी गलत कामो की वजह से उन सब ने अपने इन टैलेंट पर ध्यान ही नहीं दिया जो की उनकी सबसे बड़ी कमजोरी थी इस तरह से इनकी बदमासियो को देख कर इनके पिता उन्हें सिख देने को सोची।

तीनो पिताओ ने आपस में बात करी और उसका एक हल निकाला। तीनो पिताओ ने अपना-अपना काम अपने-अपने बेटो को सौप दिए जिससे उनको समय की कदर का पता लग सके।

तीनो के पिता ने एक वसीयत बनाई जिसमे ये लिखा था की एक वर्ष के अंदर इन तीनो को दस लाख रूपये कमा कर देने होंगे जो बिना किसी गलत काम कर के कमाए गए हो और तीनो को अलग-अलग स्थान पर रहना था।

इन तीनो को पांच-पांच लाख रूपये भी दिए गए ताकि उनको अपना काम स्टार्ट करने में दिक्कत ना हो पहले तो सब खुश हो गए की हम आजाद हो गए हमको पैसे मिल गए और ऐसा सोच कर के इन्होने फिर से काफी समय मौज मस्ती करने में लगा दिया इस तरह से छः महीने बीत गए और इनका काफी सारा नुक्सान भी हुआ।

फिर एक दिन अचानक उनको अहसास हुआ की अगर हम शर्त हार गए तो हम अपनी-अपनी जायजात खो बैठेंगे धीरे -धीरे उनकी चिंता बढ़ने लगी।

एक दिन वो इसी उधेड़ धुन में एक पार्क में बैठे थे और कुछ डिसकस कर रहे थे की उनको एक छोटी सी लड़की मिली वो फूल बेच रही थी और साथ में पढ़ भी रही थी तीनो लोग उस लड़की के पास में गए तभी राम ने लड़की से बोला बेटी आपकी उम्र क्या है तो लड़की ने जवाब दिया की मैं 12 साल की हूँ।

अंकल इतना सुनते ही राम ने आचार्य से पूछा की आप इतने छोटे होकर के खेल नहीं रहे हो इस पर लड़की ने जवाब दिया की मेरे पापा अब इस दुनिया में नहीं है और माता बीमार रहती है इसीलिए मैं ये काम करती हूँ।

ये सुनकर राम ने अपना पर्श निकाला उसके पास जो भी पैसे बचे थे वो उस लड़की को देने लगा उसके बाद लड़की ने बोला अंकल आप भी फूल ले लो मुझे बहुत ख़ुशी होगी क्योंकि मैं अगर आपसे फ्री में पैसे ले लुंगी तो फिर मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगेगा मैं काम चोर बन जाउंगी क्योंकि यही समय है जिस समय में अपना भविष्य लिख सकती हूँ।

राम ने उस लड़की से सारे फूल ले लिए और तीनो घर लौट आये उस फूल वाली लड़की का उन तीनो लड़को पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। रात भर उन तीनो ने उस बच्ची के बारे में सोचते रहे और उन्हें अहसास हुआ की वो तीनो कितने गलत थे। तीनो ही दोस्तों को अहसास हुआ की आज भी उनके पास छः महीने का समय है अपने पिता के दिए गए काम को पूरा करने का और भविष्य बनाने का।

इसी दौरान सब ने सोचा की अगर बचे हुए समय का सही उपयोग करे तो अभी भी बहुत कुछ किया जा सकता है इस तरह बाकि दोस्तों ने भी सोचा और दूसरे समय में आकर काम तलाशने लगे पर उनके शर्त में एक शर्त ये भी थी की उनको जो भी काम करना है वो अपनी पहचान बताये बिना करेंगे जिससे ये साफ़ था की उनको काम नहीं मिला और जब काम नहीं मिला तो उन्होंने सोच लिया तो अब वो अगर कुछ भी करेंगे तो अपने गांव में जाकर ही काम करेंगे।

भले ही उनके पिता कुछ भी सोचे लेकिन फिर भी अपने गांव में जायेंगे और अपने गांव में कुछ नए काम करेंगे भले ही उनको अपने पिता के वसीयत ना मिले तीनो लड़के अपने गांव में फिर से आये और अपने-अपने पिताओ से जाकर के मिले और उन्होंने अपने अनुभव के बारे में बताया और बोला की वो आगे से ऐसी गलती नहीं करेंगे और वो उन्हें माफ़ कर दे।

लेकिन पिता तो शर्त पे ही अड़े थे लड़को को कोई दया नहीं मिली तीनो को फिर से दुःख हुया की तीनो को अपनी गलती की अहसास होने के बाद भी उनके पिता उनका सपोर्ट नहीं कर रहे है और फिर से वो रात भर सोचते रहे की अब क्या किया जाये।

तीनो ने मिल कर एक स्कीम निकाली राम अपने मित्रो के साथ में मिलकर लोगो की प्रॉब्लम को सुलझाने लगा जिससे उसको गांव की समस्याओ का ज्ञान हुआ इसी तरह श्याम भी गांव के विकाश के लिए नए नए तरीके सिख गया और राजू को किसानो और बीजो का ज्ञान हो जाने से उसको काफी फायदा हुआ।

तीनो ने मिलकर अपने बाकि पैसो को सही ढंग से सही जगह लगा कर गांव को एक नया रूप दे दिया उनकी कड़ी मेहनत से गांव के लोग क्या दूसरे शहरो के लोग भी उनकी तारीफ करने लगे उनका गांव तरक्की करने लगा। नई तकनीकों के कारण हर वर्ग के लोगो से उनका जुड़ाव होने लगा और एक समय आने के बाद उनके पिताओ ने भी उनको माफ़ कर दिया।

इस तरह से दोस्तों उन तीनो को समय की कीमत का अंदाजा हुआ की पहले वो कितना समय बर्बाद कर रहे थे लेकिन जब से उनको समय की कीमत का अंदाजा हुआ तब से उन्होंने समय को बर्बाद नहीं किया और काम करके पैसा कमाया, नाम कमाया और ये सीखा ईमानदारी से ज़िंदगी कैसे जीते है।

दोस्तों कुल मिलाकर कहने का मतलब यही है की आप सभी समय को बर्बाद ना करे अगर ये समय आपके हाथ से निकल गया तो कुछ नहीं कर सकते है और हां समय के पास इतना समय नहीं है की वो आपको दुबारा समय दे।

समय बर्बाद करने का हजारो तरीका है लेकिन आप ऐसा कोई तरीका चुनिए जो आपकी ज़िंदगी बदल दे इस समाज की ज़िंदगी बदल दे इस देश का भविष्य बदल दे।

धन्यवाद  ज़िंदगी में आगे बढिये और अपनी कड़ी मेहनत से देश में खुद के नाम के साथ-साथ दुनिया में भी देश का नाम कीजिये।

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