एक नदी के किनारे उस से जुड़ा एक बड़ा तालाब था जो काई से भरा होने के कारण मछलियों की पसंदीदा जगह था. यहाँ तीन मछलियों का एक झुंड रहता था. उनमें से अन्ना, परेशानियों का बिना डरे समाधान खोजने में विश्वास करती थी, जबकि प्रत्यु सोचती थी कि जब संकट सामने ही आ जाए तब अपने बचाव की सूची और गद्दी का सोचना था कि कितने भी प्रयास कर लो भाग्य को नहीं बदला जा सकता है. एक शाम, निराश मछुआरे घर लौट रहे थे क्योंकि उनके जाल में बहुत ही कम मछलियां फंसी थीं . तभी उनके ऊपर से पक्षियों का एक झुंड गुज़रा जिनके मुँह में मछलियाँ भरी हुई थीं. उन्हें देखकर मछुआरों को आस-पास तालाब होने के संकेत मिला और उन्होंने उस तालाब को ढूँढ निकाला. मछलियों से भरे तालाब को देखकर उन्होंने अगले दिन आकर जाल डालने की योजना बनाई.
मछुवारों की बात सुनकर अन्ना ने तुरंत ही तालाब छोड़कर नदी में चले जाने का निर्णय लिया जबकि, जबकि प्रत्यु ने कहा कि जब मछुवारे आएँगे तब देखेंगे,अभी से क्यों परेशान होना. गद्दी ने अपने स्वभाव के अनुरूप कहा कि अगर भाग्य में मरना लिखा है तो क्या किया जा सकता है. अन्ना उसी समय तालाब से चली गयी. अगले दिन जैसे ही मछुआरे आए, प्रत्यु अपनी जान बचाने के लिए एक मरे हुए ऊदबिलाव की लाश के अंदर चली गयी और उसके शरीर से भी सड़े मांस की बदबू आने लगी. मछुवारों ने उसे मरा जान कर छोड़ दिया. लेकिन भाग्य के सहारे रहने वाली येद्दी ने कोई प्रयास नहीं किया और बाक़ी मछलियों के साथ जाल में फँस कर तड़प -तड़प कर मर गयी.